एक मध्यम वर्गीय परिवार का आदमी कितना संघर्ष करते हुए अपना जीवन यापन करता है, यह सिर्फ वही बता सकता है। कलमकार हैप्पी उज्जवल उस इंसान के संघर्ष का उल्लेख इस कविता में करते हैं।
मेहनत के पसीने से तर जाता है।
वो काम की तलाश में शहर जाता है
हाथ खाली हो, फिर भी प्यार लुटाता है।
बीबी की बालों में एक फूल लगाता है।
एक जैसा ही भोजन उसे रोज करना होता है।
पैसे बचाकर, बच्चो की फीस भरना होता है।
अपनी कमाई से छोटा घर बनाता है
बच्चों को कांधे पर, गांव घुमाता है।
हालात कैसे भी हो लड़ जाता है।
पीछे कुछ भी नही,
यही सोचकर बढ़ जाता है।
जरूरतों के बोझ से दबता जाता है।
पर वो “मिडिल क्लास आदमी” है साहब
हर परिस्थिति में मुस्कुराता है।~ हैप्पी उज्जवल