हमें इस संसार से रुबरु कराए
वो माँ ही तो है।
दुनिया भर की प्यार लुटाये,
वो माँ ही तो है।
नन्हीं नन्ही जीवन को जो,
जग में जीना सिखलाये,
वो माँ ही तो है।
ममता की गोद में जो,
आँचल का आश्रय दिलाये,
वो माँ ही तो है।
निराहार स्वंय कैसे भी जीती,
पर सीने से लगा जो दूध पिलाये,
वो माँ ही तो है।
अपनी खुशियों को त्याग कर,
हमारी झोली खुशी से भरकर,
मन्द मन्द हरसाये,
वो माँ ही तो है।
नौ माह से लेकर अपनी,
अंतिम सांस तक जो,
सन्तान की मुस्कान पर मिटती जाए,
वो माँ ही तो है।।
वो माँ ही तो है।।
~ पीताम्बर कुमार ‘प्रीतम’