माँ शब्द कहने को तो बहुत छोटा शब्द है,
किंतु इसमें पूरा संसार समाया हुआ है।
दुनिया में माँ का दर्जा भगवान् से बढ़कर है,
क्योंकि भगवान भी माँ सामने अपना सिर झुकाते हैं।
मेरी माँ ममता की देवी है।
मेरी माँ मेरी आदर्श है।
माँ ईश्वर के द्वारा दिया एक वरदान है,
जिसके आंचल की शीतल घनी छांव में
हम अपनी जीवन की हर तपन से मुक्त हो जाते हैं।
अपने सारे दुःख भूल जाते हैं।
मैं ईश्वर का धन्यवाद करती हूं
कि उन्होंने मुझे दुनिया की सबसे अच्छी माँ दी है।
लाख गलतियां करने पर भी
क्षमा करने की शक्ति केवल माँ में ही होती है।
माँ मिट्टी की सौंधी-सौंधी महक है, जो हर मौसम महकती है।
तुम धरती के हर मौसम में वसन्त हो, तुम गंगा हो, यमुना हो,
धरती पर पीपल हो, तुम बहुत शीतल हो।
पूजा का दीपक हो, तुम साधना हो,
आराधना हो, मेरी आदत हो, मेरी इबादत हो।
मेरी आश हो, मेरी अरदास हो।
ग्रीष्म ऋतु में शीतल जल हो, हर समस्या का हल हो।
~ सुरभि उपाध्याय