दुःख दर्द में माँ को पुकारा

दुःख में, दर्द में, मैंने उसे पुकारा
दौड़ी चली आई माँ, उसने दिया सहारा
दुःख में, दर्द में, मैंने उसे पुकारा

न सिर्फ खुशियाँ ही बाँटे
मेरे दुःख भी बाँट लेती वो
जीवनपर्यन्त मुझपर ऋण रहेगा तुम्हारा
दुःख में, दर्द में, मैंने उसे पुकारा

न सिर्फ हमको समझाये वो
हमको आगे बढ़ना भी सिखाये वो
हमारा उज्ज्वल भविष्य है निखारा
दुःख में, दर्द में, मैंने उसे पुकारा

पल-पल संघर्ष करती वो
हमारे लिए दुनिया से भी लड़ती वो
तब हमको नाम दिया उसने हमारा
दुःख में, दर्द में, मैंने उसे पुकारा

~ सोनल ओमर

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