अब मैं रुठता नहीं, न देर तलक होता हूं।
वो स्पर्श औषधि थी,
गोद जन्नत… बस स्मृतियां शेष है।
हां मां जब आंखें नम हो मेरी आया करो।
ख्यालों में बस जाया करो।
हां मां आया करो।
जब नींद न आए तो वहीं लोरी की मुखड़े सुनाया करो।
यादों में बस जाया करो
पर आया करो
हां! मां, आ जाया करो
~ संजय रॉय