चलो चलें माँ के आँचल में
ममता का दीदार करें
कदमों में हम शीश झुकाकर
माँ की जय-जयकार करें..।।
माँ कल्याणी दुःख हर लेंगी
ममता के आशीषों से
सबका जीवन सुखमय होगा
माँ का अब गुणगान करें..।।
नौ दिन माँ के नवों रूप का
उत्सव पर्व मनाएंगे
सबकी हो पूरी अभिलाषा
अर्पण पुष्पों का हार करें..।।
करूँ हमेशा तेरी सेवा
माँ तेरा आशीष रहे
नहीं कभी हो मन ये विचलित
माँ ऐसा उपकार करें..।।
चलो चलें माँ के आँचल में
ममता का दीदार करें
कदमों में हम शीश झुकाकर
माँ की जय-जयकार करें..।।
माँ की जय-जयकार करें।।
~ विजय कनौजिया