इंतजार की एक गाथा कलमकार इमरान संभलशाही ने इन पंक्तियों में लिखी हैं। इंतज़ार करना बहुत कष्टदायक होता है, कभी-कभी आँखें नम हो जाती हैं तो कभी दिल उदास। यह तो हम सभी जानते हैं इंतज़ार के बाद सच का पता चलता है और खुशी जरूर मिलती है क्योंकि सब्र का फल मीठा होता है।
इंतज़ार में जब भी मिरी आंखें जली होती है
इस करेजे को तब भी तुम भली होती हैमुहब्बत अश्क है और हम तुम्हारी आंखें,
जितना ही बहती है ज़मीन हरी होती है।तेरे उठने से ही गले की उस परागी हार में,
हीरे की महल जैसी चमक भरी होती है।बहारों, हसीन वादियों और तमाम मौजों में,
हमारे मिलन की बिछी सदा दरी होती है।हवा की रवानगी और उसी सी दीवानगी,
में हर रोज़ तिरी हर ग़म डरी होती है।तेरा एहसास है ये जानता है “इमरान”,
जो कमल सी पांव से सफर चली होती है।~ इमरान संभलशाही
हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
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