अब कोई मनभेद नहीं हो

अब कोई मनभेद नहीं हो

एक मजबूत रिश्ता बनाए रखने के लिए हमें आपस में कोई राज छिपाकर नहीं रखना चाहिए और न ही कोई गलतफहमी पालनी चाहिए। विजय कनौजिया जी कहते हैं कि ऐसी परिस्थिति का निर्माण कीजिये जहाँ मन में कोई भेद न रहे।

तुम भी कह दो मैं भी कह दूं
मन में अब न भेद कोई हो
मतभेदों में जी लेंगे हम
अब कोई मनभेद नहीं हो ..

हर पल को अनुरूप बनाएं
अपनों के अनुकूल बनाएं
रहे हमेशा अपनापन ये
अब कोई तकरार नहीं हो ..

रिश्तों की लड़ियां मिल गूथें
प्रेम के पुष्पों से आओ हम
खुशबू से हर रिश्ता महके
अब कोई हमसे दूर नहीं हो ..

रिश्तों का हर बंधन मिलकर
हम मजबूत बनाएंगे
हर सुख-दुःख में साथ निभाएं
अब कोई मजबूर नहीं हो ..

तुम भी कह दो मैं भी कह दूं
मन में अब न भेद कोई हो
मतभेदों में जी लेंगे हम
अब कोई मनभेद नहीं हो ..

~ विजय कनौजिया

हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
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