माँ जैसा कोई और नहीं! सिर्फ माँ ही है जो हमें हर तरह की तकलीफ़ों से दूर रखने के लिए सबसे आगे खड़ी मिलती है। वह बिना किसी स्वार्थ के हमारा हित चाहती है। कलमकार इरफान ने माँ की ममता और महानता बताने के लिए चंद पंक्तियाँ लिखी हैं।
निकला था घर से मां की दुआओं के साथ साथ
फिर यूं हुआ कि राह में पत्थर नहीं मिलामुझको मिली है इर्स में मां की मोहब्बतें
मैं क्यों कहूं कि मुझ को बड़ा घर नहीं मिलाआगोशे मां से तकता रहा आसमान को
ऊंचा तो मां से कोई भी बढ़कर नहीं मिलाझाड़ा जो मां की ओढ़नी अंजुम पड़े मिले
झूठी ज़मीं है गर कहे गौहर नहीं मिलाखाती रही पछाड़ मेरी मां की सिसकियां
मां को तो अपना दर्द भी बेघर नहीं मिला~ इरफ़ान आब्दी मांटवी
हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
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