नहीं मिलते दर्द साझा करने वाले

गम की कमी जीवन में नहीं है, हर एक के पास अनेकों गम होते हैं। हमारे इन गमों को बांट लेने वाले लोग नहीं मिलते हैं, हमें ही उनका समाधान खोजना पड़ता है। कलमकार राहुल प्रजापति की इस रचना में भी यह बात पता चलती है।

नहीं मिलते दर्द का सांझा करने वाले
कुछ अपने ही होते है पराया करने वाले।

बहुत देते है तामील साथ में मरने की
मगर सच, नहीं होते साथ मरने वाले।

किस-किस का भरोसा है तुम्हें अब भी
कसर नहीं छोड़ते, हद से गुजरने वाले।

अच्छाई और बुराई किसका साथ दें
लूट जाते है हर तरफ़, लूटने वाले।

ख़ामोश हो गया यह सुनकर ‘राहुल’
कि जल्द मर जाते है, अच्छा करने वाले।

~ राहुल प्रजापति


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