आज देश कोरोना से लड़ रहा
बालात्कार का केश, दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है
तीसरी विश्वयुद्ध जैसी हालात है
पर, उन दरिंदों की कमी नहीं
जो राह पर शिकारी बन बैठा है
मदद करने नहीं साहब
दमन, शोषण करने
लड़कियों की, चीख सुनने।
संकट के समय, साथ होगा हर कोई
पर, इन दरिंदों की भूख केवल है लड़की की
बीते हर कल, अमानविक घटना घट रही है
स्टेशन का पता पूछना भी सजा हो गयी
आबरू छिनी उसकी, दुनिया बेखबर हो गयी।
ये कैसा देश हमारा
जहाँ नारी है बेसहारा
केवल दरिंदों का बसेरा
कानून का कोई खौफ नहीं
हवस और वासना का है
मन में उसका बसेरा।
हवस इतना कि, निर्भया केश की सजा भी याद नहीं
कर रहें दरिंदे, वही जो है मना
परिस्थिती कठिन, जहाँ करें लोगो की मदद
कर रहें हैं वो गुनाह।
छिः छिः ऐसे इंसानो को
मिलनी चाहिए कडी़ से कडी़ सजा़
वो मनुष्य नहीं, पशु से भी बत्तर है
पशु इनसे अच्छा लाख गुणा
सजा़ मिले कठोर, जल्द ही
यही चाहती है, हर निर्भया।
~ पूजा कुमारी साव