प्रकृति के बिन कुछ नहीं

प्रकृति के बिन कुछ नहीं

प्रकृति के बिन कुछ नहीं
ना अस्तित्व हमारा, ना अस्तित्व दुनिया का
माँ सी संवारती हमें
गोद में लेकर, पालती हमें
गुरू सा ज्ञान, हर उपादान द्वारा देकर
ईश्वरत्व का पहचान कराती हमें।
सूर्य सा तेज देकर, ऊर्जावान बनने की
नदी सा चिरंतन बहकर बाधाओं को पार कर,
आगे बढ़ते रहने की शक्ति
पंक्षियों का कल्लोल से कर्मरत रहने का संदेश,
जगने का आह्वन
तालाब सा स्थिरता,
सागर सी विशाल मन, जिसमें सब समा सके,
फिर भी अहंममुक्त
पौधों, वृक्षो सा निस्वार्थतता से
लोककल्याण की भावना का संचार करती है।

प्रकृति का हर एक उपादान हमें
स्वंय सा कर्मरत रहने
दृढ संकल्प लेकर,
आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है
हर दिन, हर क्षण
समयानुसार स्वंय को संवार कर
हमें भी सक्रिय रहने,
समय के सद्पयोग का पाठ देती है
हर कार्य की क्षमता है हममें
प्रकृति ये हर क्षण, संकेत करती है
प्रकृति ही वो शक्ति है जो
हमें जिंदगी जीने की सार देती है।

~ पूजा कुमारी साव

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