NOVEMBER-2020: 1) हम तुम एक है ~ कुमार उत्तम • 2) बेटे ~ मधु शुभम पांडे • 3) प्रेम में ठगी हुई स्त्री ~ कलमकार- गीता बिष्ट
१) हम तुम एक है
हम तुम एक है
सपने हमारे नेक है
फिर क्यू रास्ते बन्द पड़े है।
फिर क्यू ?
सामने अड़े पड़े है,
सपने सबके होते है
हमारे सपनो को भी
हकीकत बन उड़ जाने दो।
पंख फैलाकर नीले
आसमान में उड़ जाने दो
हम तुम एक है
सपने हमारे नेक है।
हमे मत रोको
हमे मत कैद करो,
इस पिंजरे में
तोड़ो इन बंदीसों को
हम है, आजाद परिन्दे
अब सपने को
साकार हो जाने दो
हमे अंजाम को पाने दो
हम तुम एक है
सपने हमारे नेक है।
२) बेटे
उत्तरदायित्व पूरे परिवार का, जो कंधो पर समेटे होते है।।
सारी उमर परिवार के लिए जो जीते, वो “बेटे” होते है।।
माँ बाप की गैर मौजूदगी में भी, सारे फर्ज निभाते है।।
छोटे भाई बहनों को, माँ बाप की तरह पालते है।।
माँ बनकर परवरिश करते, दिल में ममता छुपाये होते है।।
सारी उमर परिवार के लिए जो जीते , वो “बेटे” होते है।।
करके दिन रात मेहनत, कर्तव्यों का निर्वहन करते।।
उनका हृदय बयां नहीं करता, वो कितने कष्ट सहन करते।।
खुश देख परिवार को, अपनी इच्छाएं दबाये होते है।।
सारी उमर परिवार के लिए जो जीते, वो “”बेटे”” होते है।।
नौकरी की तलाश में, जो घर से दूर जाते है।।
कई माँओं के इकलौते, बर्षों माँ से मिल नही पाते है।।
चिंता न हो माँ को, हंसकर अपना हाल बताते है।।
ख्वाहिशों के दिल मे इनके, समंदर होते है।।
सारी उमर परिवार के लिए जो जीते, वो “बेटे” होते है।।
फ़र्ज़ के तले दबे, पूरा जीवन बिता देते है।।
बीबी बच्चों के लिए, स्वयं के सुख मिटा देते है।।
संघर्ष कठिन कर, सबके जीवन में खुशियों के बीज बोते है।।
सारी उमर परिवार के लिए जो जीते, वो “बेटे” होते है।।
३) प्रेम में ठगी हुई स्त्री
प्रेम में ठगी हुई स्त्री
होती है पानी के बुलबुले सी,
वो दिखाती है खुद को
मजबूत चट्टान सा।
अक्सर वो बिखर जाती है
रात के सन्नाटे में,
और यकीन दिलाती है खुद को
कि कल बेहतर होगा आज से।
संवार कर खुद को फिर से
लगती है सपनों की उधेड बुन में,
पर फिर हर शाम वो होती है
मायूस सी सोचकर बीता कल।