कुंडलिया छन्द के माध्यम से कवि कमल भारद्वाज एक व्यंग से लॉकडाउन को संबोधित कर रहें हैं।
मियाँ घर पै डाल रहे, बैठे मिरच अचार।
बीबी का भी बंद है, भ्रमण और संचार।
भ्रमण और संचार, बंद सब कानाफूसी।
घर में दोनों बंद, खा रहे बासी-बूसी।
कहें “कमल” कविराय, खत्म सब दाना पानी।
हुई बोलती बंद, मरी हो जैसे नानी।।~ डॉ. कमल भारद्वाज