हमारा हिंदुस्तान बहुत ही प्यारा है, यहाँ विविध धर्म, संस्कृति और भाषा के लोगों हैं जो विविधता में एकता और अखंडता को कायम रखते हैं। कलमकार इरफान आब्दी मांटवी की रचना पढें जिसमें उन्होंने हिंदुस्तान को अपना दिल और अरमान लिखा है।
तू मेरा दिल मेरा अरमान
ऐ मेरे प्यारे हिन्दुस्तानतेरी धरती मेरा सीना
तेरी मिट्टी मेरा सूरमा
तू धड़कन है मेरे दिल की
मेरा आंसू तेरी गंगा
तुम्हारे नाम से होती
है मेरी ज़ात की पहचान
ऐ मेरे प्यारे हिन्दुस्तानहै संतों की यहां मंदिर
तो मस्जिद का यहां आंगन
मसीह की है इबादत गाह
तो नानक का यहां मस्कन
सभी हिन्दू, मुसलमां, सिख
ईसाई हैं तुम्हारी शान
ऐ मेरे प्यारे हिन्दुस्तानमेरा दिल कहता रहता है
हो अब भी सोने की चिड़िया
वज़ू गंगा से होता है
तेरी मिट्टी पे है सजदा
उसी गंगा में करते हैं
मेरे हिन्दू जहां अस्नान
ऐ मेरे प्यारे हिन्दुस्तानजो हालत आज बदली है
वो धंधा है सियासत का
सियासत ने मोहब्बत में
है बोया शोल नफ़रत का
उसे रहने नहीं देंगे
करेगा जो तेरा अपमान
ऐ मेरे प्यारे हिन्दुस्तानज़रा वो दिन करो ना याद
गुलामी में थे जब जकड़े
हमारी लाश पेड़ों से
रखे अंग्रेज़ थे टांगे
तभी हिन्दू, मुसलमां ने
बचाया देश का खलियान
ऐ मेरे प्यारे हिन्दुस्तानभगत के बाज़ुओं ने ही
गला अंग्रेज़ का घोंटा
ती फिर अशफाक के सीने
ने रोका ज़ुल्म का हमला
अगर सब साथ ना होते
तो कैसा होता हिन्दुस्तान
ऐ मेरे प्यारे हिन्दुस्तानचलो हिन्दू, मुसलमां हम
करें वादा, रहेंगे साथ
मरेंगे देश की खातिर
जिये तो फिर जियेंगे साथ
सभी मज़हब सिखाते हैं
कि हिंसा मत करो इंसान
ऐ मेरे प्यारे हिन्दुस्तान~ इरफ़ान आब्दी मांटवी
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