कलमकार पूजा कुमारी साव ने वृदधाश्रम और आजकल की नई पीढ़ी के नजरिए की दास्ताँ इस कविता में बताने का प्रयास किया है।
वृद्धाश्रम की क्या कहूँ करूण कहानी
माता-पिता की कद्र शिक्षित वर्ग ने भी ना जानी
जना जिसे, लालन-पालन किया
बडी़ सिद्धत से, पढा़-लिखाकर खडा़ किया
आज उसी ने, माँ-बाप को तौफे में
वृद्धाश्रम दिया
पैसों के बल पर, सारा गुमान
वालिद का, उसके निज संतान ने
खाँक किया
आज उसी ने, माँ-बाप को तौफे में
वृद्धाश्रम दिया
कभी यूँ बेटा-बेटी उसके,
पालन का, ऐसा कर्ज उतारेगा
कहा होगा किसी वृद्ध ने
पर, उसने ना विश्वास किया
मोह तोडा़ बेटा-बेटी, बहू ने
पर, अभिभावक ने ना कभी अभिशाप दिया
निज संतान ने ही देखो, वृद्ध वालिद को
वृद्धाश्रम में दान किया।~ पूजा कुमारी साव