बस एक कदम

बस एक कदम

बस एक कदम और इस बार किनारा होगा।
असफलता एक चुनौती है जब तक सफल
न हो एक जंग जारी है।

बस एक कोशिश और कही तो उज्जाला मिलेगा।
आसमा के निचे उस बदली के पीछे कोई
तो किरण होगी।
इस अंधकार से लड़ने की कोई तो ज्योति होगी,
बस एक कदम और इस बार किनारा होगा।

माना ये अदृश्य है, अदृश्य ही कर देना होगा
जो इस लक्ष्य को भेदे कही तो वो तीर होगी
बस एक कदम और इस बार किनारा होगा।

इस भूमि पर कही तो वो नीर होगा
जो संजीवनी बूटी बन जीवन ज्योति बनेगा
बस एक प्रयत्न और अब लक्षय हमारा होगा।

जो मंजिल तक पहुंचे वो, कोई तो राह होगी
जो मंजिल तक पहुँचे वो कदम हमारा होगा
बस एक कदम और इस बार किनारा होगा।

बस एक कदम और बुलंदियों को छूने की
बस एक-एक कदम चलते चलो…
रास्ता जो भी हो मंजिल हमारा होगा।

उम्मीदों के अंधेरे में गुम होकर
जुगनुओं की तलाश जारी होगी
कोई तो वो औषधि होगी जो इस भयंकर
रोगों को शांत कर देगी
बस एक कदम और इस बार किनारा होगा।

~ पूजा साह

Leave a Reply


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.