कई सवालों के जवाब नहीं मिल पाते हैं, उन्हें भावनाओं के माध्यम से ही समझना पड़ता है। कलमकार पूजा खत्री की चंद पंक्तियाँ पढें जो इसी मुद्दे को संबोधित कर रहीं हैं।
उफ़
दर्द न हो सीने मे
ऐसे जज्बात कहां से लाऊं
टूटे दिल ओर हंसते चेहरे
वो हंसी वी खयाल कहां से लाऊं
दुनिया बने जालिम इस कदर
अंदाज़े बयाँ के वो अंदाज कहाँ से लाऊं
बिकती है हर चीज नाप तौल मे
दिल रिश्ते और अपने
तौल सकूं जो खुद को
ऐसी माप कहाँ से लाऊं
कहने को दुनिया अपनी
बस मुल्क पराए
न कर न सके दिलो को जुदा
ऐसी दीवार कहाँ से लाऊं
ऐ दिल तू बता
ये जिस्म पराया देश पराया
फिर भी कयो इससे प्यार
वो जवाब कहाँ से लाऊं
उफ़ दर्द न हो सीने मे वो
जज़्बात कहां से लाऊं~ पूजा खत्री, लखनऊ