हमारी बेटियाँ

हमारी बेटियाँ

हम किसी से कम नहीं- यह बात बेटियों को हमेशा कहनी चाहिए और पुरुष प्रधान समाज को भी बेटियों को कमतर आँकने की भूल कदापि नहीं करनी चाहिए। बेटियां हमारे लिए क्या हैं- यह बात कलमकार कुमार संदीप ने अपनी कविता में बताई है।

घर में चहुंओर रौनक ही रौनक फैलाती हैं बेटियाँ,
ईश्वर के द्वारा तोहफे में दी हुई अनमोल रत्न होती हैं बेटियाँ।

प्रेम की मूरत अलौकिक अद्वितीय होती हैं बेटियाँ,
सूने आँगन में हरियाली बिखर देती हैं बेटियाँ।

सूर्य समान अद्वितीय व परोपकारी होती हैं बेटियाँ,
पिता पुकारते हैं जिसे बेटा कहकर वह होती हैं बेटियाँ।

पलभर में हो जाती है दूर ऐसी होती हैं बेटियाँ,
विवाह पश्चात खुद के घर से बहुत दूर हो जाती हैं बेटियाँ।

कुल का नाम केवल बेटे ही नहीं, रोशन करती हैं बेटियाँ,
करती है खुशियों का त्याग वो कोई और नहीं होती हैं बेटियाँ।

न करो स्वार्थी मानव बेटियों की हत्या देवी तुल्य होती हैं बेटियाँ,
इस सृष्टि को रचने वाली, सँवारने वाली होती हैं बेटियाँ।

~ कुमार संदीप

हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
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