आजकल की राजनीति और नेताओं से हम सभी अवगत हैं। कलमकार खेम चन्द ‘हमारे नेता’ कविता में भी नेताओं के कुछ पहलुओं को रेखांकित किया है।
देश है मेरा धर्मनिरपेक्ष नाम दिया है हिन्दोस्तान
कृष्ण, राम, शिव, विष्णु, ब्रह्मा रहे हैं हमारे भगवान।
युगों-युगों से चली यहाँ राज की निति
जनता को रखा है घर की भित्ति।
हो गये हैं नेता यहाँ कई हज़ार
राजनीति करना बन गया है जैसे कोई व्यपार।
ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक के गलियारों में
नेता सभी छाए रहते हैं भारतीय अखबारों में।
कोई छपा है दीवारों में तो कोई रहता है बड़ी -बड़ी मीनारों में।
राजनीति में आकर करते हैं घोटाले कई
ये बात आम है इनके लिये है नहीं कोई नई।
अपने लिये एक बार कार्यपालिका में जाने पर पेंशन लगवायेंगे
जनता को झूठे वादों पर नचायेंगे।
कोई बेलचा तो कोई चमचा कोई बनता है इनकी कुदाली
राग नये गीतों का बना देते हैं जनता की कव्वाली।
एक बार गर कोई नेता हार जाये तो प्रावधान ये बनाओ
घी शहद मक्खन से नहीं रोटी ढाबों की इनको भी खिलाओ।
काम करने वाले मजदूरों की दिहाड़ी कभी ज्यादा नहीं बढायेंगे
अपने भत्तों को बढ़ाकर कश्ती मज़े की नालों में भी चलायेंगे।
कोई गुनाहगार तो किसी पर होते है केस न्यायपालिका में बेशुमार
फिर भी लगाए रखी है हमने चुनकर ऐसे नेताओं की कतार।
थोड़ी सी तो बन जाओ हम भारतीय जनता समझदार
कर दो ऐसे नेताओं को दरकिनार।
युवाओं को छोटा सा केस होने पर भी नौकरियों से वंचित रखेंगे
स्वाद जनता के परिश्रम का नेता बेईमान चखेंगे।
हम कब तक ऐसे बेईमानों को अपना नेता रखेंगे
लड़ो अपने हक की मिलकर सभी लडा़ई
करो नेताओं के सम्राज्य पर चढा़ई
हमें चौकीदार के लिये भी आठ-दस पास करने के लिये बोलेंगे
पर खुद अनपढ़, ग्वार नेता अपने लिये हम पर राज करने का दरवाजा खोलेंगे।~ खेम चन्द
हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है। https://www.facebook.com/hindibolindia/posts/371330693774109
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