पूरा विश्व परेशान तो इस नोबल कोरोना रूपी महामारी से भी है,
लेकिन बच्चो एवं अपनी भूख मिटाने के लिये परेशान तो मजदूर ही है।
अब जो अमीर घर बैठे पकवान खा रहे है,
उनके पीछे जो पसीना लगा है वो मजदूर का है।
जो देखने मे अत्ति सुंदर भवन बने है,
उनके पीछे भी मजदूर का पसीना है।
भूल जाते है अमीर
जब सवार होते है अपनी लग्जरी वाहन मे
जिन पर धूल डालते है वो ही मार्ग निर्माण करते है
ताकि साहब जा सके आराम से।
आखिर भूल जाते है अमीर
लेकिन मजदूर संजोकर रखते वो पल जब सहाब उन्हे सहराते है।
अगर मजदूर ना होते तो इतना आराम भी ना होता।
“जय हो मजदूरो की”
~ अवि सिंह राठौड़