कोई अपना जब रूठ जाता है तो मन बहुत बेचैन हो जाता है और उसे मनाने के लिए अनेकों उपाय ढूंढता है। कलमकार अजय प्रसाद जी ने भी लिखा है कि अब क्या करें? हमारे सरकार तो खफ़ा हो चुके हैं।
हमसे हमारे सरकार खफ़ा हैं
जाने क्यों बरखुरदार खफ़ा हैं।चिढ़े-चिढ़े रहते हैं वो आजकल
क्या कहें कब से यार खफ़ा हैं।शक उन्हें है हमारी वफाओं पे
शिकवे-गिले भी हज़ार खफ़ा हैं ।लाख जतन कर के हार गए हम
दिल में दर्दोगम के गुबार खफ़ा हैं।जाँ दे कर अजय उन्हें मनाऊँगा
शायद इल्म हो के बेकार खफ़ा हैं।~ अजय प्रसाद
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