यह कविता समाज के उस वर्ग को समर्पित है जो समाज के लिए जी जान से कार्य करते हैं और अपनी जान जोखिम मे डाल कर समाज मे कानून और व्यवस्था को लागू करते हैं ।
समाज की पुख्ता पहचान
पुलिस का जवान पुलिस का जवानकानून और व्यवस्था का रखवाला
समाज बिरोधी तत्वों के लिए डंडेबालाजब जब राष्ट्र पर संकट आया
सदा ही उसने फर्ज निभाया
अपनी जान पर खेल कर
हर इंसान को उसने बचाया
नहीं किया कोई भेदभाव
अपनाया सदा ही समभावगोली बारूद से नही डरता
अराजकतत्वों का सामना करताखतरों से खेलना उसका काम
अपराधियों का करे काम तमाम
आओ करें इस को सलामजी जान से मेहनत करता
फर्ज पर सदा है डटता
कभी नही यह पीछे हटतापुलिस एक अनुशासित फोर्स
हमें है इस पर नाज़
जिसकी बदौलत जी रहे हम नागरिक आजसीने पर सदा गोली खाता
कभी न अपनी पीठ दिखाता
देश पर हो जाता कुरबानगर्मी हो या सर्दी सदा ही कर्म करता रहता
कर्म ही इस की पहचान
समाज की आन बान और शान
राष्ट्र हित लुटाता अपनी जानमा भारती का लाडला बेटा
पीता शहादत का जाम़
देश का करे ऊंचा नामआओ करें इस का गुणगान
बढाए जो देश.का मान
राष्ट्र गौरव और गुमान
उस को मेरा है प्रणाम~ अशोक शर्मा वशिष्ठ