हे जगत नियंता, हे पालनहारी
आन पड़ी हम पर विपदा भारी।
सजा दी किस भूल की इतनी भारी
त्राहि-त्राहि कर रही दुनिया सारी।
संकट पड़ा जगत पर भारी
फैली जब से कोरोना बीमारी।
खांसत-छींकत डरें अब नर-नारी
कोरोना कहीं ले न ले जान हमारी।
हे जगत नियंता हे पालनहारी
हमको तो अब बस आस तुम्हारी।
बीच भंवर फंसी नैया हमारी
उस पार कर दो हे पालनहारी।
~ सुनील कुमार
Post Code: #SAWARACHIT535A