श्रीराम की स्तुति

हे जगत के महावीर स्वामी, तू सदा कल्याण कर
चर अचर सकल जगत का, तू महा कल्याण कर

हे दशरथ सुत! तेरे चरण को पखार कर प्रणाम है
तू धरा का तेज़ मानस, कण कण में बसा नाम है

साहस नहीं कैसे लिखूं, मर्यादित पुरुषोत्तम नाथ पर
बस मिट ही जाऊं भक्ति में तेरे, हस्त धर दो माथ पर

तेरा वर्णन जो लिखा है, चौबीस सहस्र श्लोक में
स्वांतः सुखाय में गढ़ा गया, है आलोकित भू लोक में

है प्रथम दिवस श्री रामनवमी, सनातन की परम्परा में
तन मन से और करम से, हर्षोल्लास मनाते है धरा में

राम समाहित रामायण में, राम की यात्रा हर घर में
चरण कमलवत, भुजाएं बाहु और धनुष है कर में

दास तुलसी गढ़ गए, लोक में श्री रामचरितमानस
तीनो लोक का तू ही भगवन्, चहुं फैल रहा है यश

पुत्र भाई शिष्य पति मित्र बन, हर करम में बेजोड़ हो
छल कपट द्वेष घृणा, ईर्ष्यालु अवगुणों का तोड़ हो

धरा के सकल मानुष,जप राम राम,पाप से विमुक्त हुए
तेरी महिमा के भजन में, हे नाथ! राम माला से युक्त हुए

भारतेंदु गुप्त इकबाल से लेकर चकबस्त तक, हे राम तू
बाल्मीकि तुलसी व सकल कण अज़ान सा, हे राम तू

~ इमरान सम्भलशाही


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.