धनपत राय श्रीवास्तव को हम सभी प्रेमचंद के नाम से जानते हैं, वे हिन्दी भाषा के लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार थे। सभी हिन्दी पाठकों और रचनाकारों ने उनके द्वारा लिखी कहानियाँ अवश्य ही पढ़ीं हैं। साहित्य के इस नायक को नमन करते हुए कलमकारों ने कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत की हैं- आप भी पढ़िए।
प्रेमचंद जी
प्रेमचंद जी
समाया हैं उनकी कहानियो मे पूरा छंद,
कहानीकार और महान विचारक थे वो श्री प्रेमचंद..
नाम था मूल उनका धनपत राय,
कहलाते थे वो नवाब राय..
ना होगा अध्धयन हिंदी के विकास का,
पूरा उनके बिना,
प्रगतिशील विचारधारा, नारी साहित्य,
को उन्होंने बुना..
उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख,
संस्मरण सब उन्होंने रचा,
उपन्यास सम्राट की उपाधि मिली,
सफल अनुवादक की हुयी संरचना..
गोदान, गबन, सेवासदन, प्रेमाश्रम,
कर्मभूमि, नवनिधि, समरयात्रा,
सोजें वतन, सप्त सरोज, प्रेम प्रतिमा,
मानसरोवर जैसी कई की उन्होंने रचना…
पंच परमेश्वर, ईदगाह और बूढ़ी काकी,
मन्त्र सी कई कहानी,
सबने पढ़ी बचपन मे,
सारी थी उनकी ज़ुबानी..
नयी परम्परा को उन्होंने जीया था जन्म,
हिंदी सिनेमा मे भीं उनके लेखन को मिला मर्म..
उनके नाम का डाक टिकट भीं हुआ था कभी जारी,
कलम का सिपाही उनकी जीवनी का
चर्चा हुआ भारी..
आज भीं सब उन्हें करते हैं याद,
उनकी कहानियो का नहीं अब तक कोई अपवाद…
प्रेमचंद है महान
प्रेमचंद है महान
प्रेमचंद है महान
हिंदी का तो प्रेमचंद मान है
पढ़ो इसकी कृतियों को
पढ़ो इसके उपन्यासों को
उपन्यासों की ये जान है
हो उपन्यास कर्मभूमि या रंगभूमि
सेवा सदन हो या उपन्यास गबन है
गरीब की गरीबी को
अमीर की अमीरी को
दर्शाता उपन्यास उनका गोदान है
समाज की कुरीतियों को
समाज की बुराइयों को
कहानी के बहाने दिखाते राह है
गरीब के त्योहारों को
दादी पोते के प्यार को
दर्शाती कहानी उनकी ईदगाह है
नयी परम्परा को उन्होंने जीया था जन्म,
हिंदी सिनेमा मे भीं उनके लेखन को मिला मर्म..
उनके नाम का डाक टिकट भीं हुआ था कभी जारी,
कलम का सिपाही उनकी जीवनी का
चर्चा हुआ भारी..
आज भीं सब उन्हें करते हैं याद,
उनकी कहानियो का नहीं अब तक कोई अपवाद…
प्रेमचंद की ईदगाह
हर कहानी नहीं होती,
ईदगाह सी सुहानी
एक प्यारा सा लड़का
एक प्यारी सी दादी
फिकर हैं दोनों को
एक दूजे की।
छोटा सा हामिद
बूढ़ी सी अमीना
प्रेम हैं इतना
एक दूजे से कहें ना
ईद का हैं मेला
तीन पैसे ही हैं ना
कहती हैं अमीना
चलता है हामिद।
ढेरों खिलौनों को त्याग,
लेता समझदारी का साथ
भिश्ती,सिपाही,वकील
को रख दरकिनार
चिमटा से हो गया
हामिद को प्यार।
लिया उसने बन्दूक का काम
रख काँधे पर चुना मुकाम
दादी की फ़िकर
छोटा सा हामिद
बिन खायें पिए रहें ना।
होती हैं नाराज
हामिद की मासूमियत सा जबाब
लिया है चिमटा,
जले ना तेरे हाथ।
रोता है हामिद
रोती है अमीना
करती हैं दुआएं
झोली फैलाए
प्यार की बारिश
बिन देखे कुदरत भी रहें ना।
छोटा सा हामिद
बूढ़ी सी अमीना।
ईदगाह सी कहानी
मिले कभी ना।
कलम का सिपाही-
कथा सम्राट प्रेमचंद
कलम सिपाही प्रेमचंद ने,
मानव चरित्र का आख्यान लिखा।
धनपत राय श्रीवास्तव से प्रेमचंद हो,
जीवन का संपूर्ण व्यवधान लिखा।
कलम सिपाही प्रेमचंद ने,
समाज में फैली बुराइयों को,
दूर करने का संकल्प लिखा।
मानसरोवर के आठ भागों में,
देकर कहानियों के 301 मोती।
उस युग का महा त्राण लिखा।
कलम सिपाही प्रेमचंद ने ,
मानव चरित्र का आख्यान लिखा।
कर्मभूमि की राहों में ,
रंगभूमि का नया आयाम लिखा।
नारी की दुर्दशा सहेज कर,
मंगलसूत्र का प्राण लिखा।
विधवा विवाह की कर अगवाही,
कायाकल्प का आगाज़ लिखा।
कलम सिपाही प्रेमचंद ने,
मानव चरित्र का आख्यान लिखा।
देकर नवजीवन,
नवल सोच साहित्य को,
वह कथा सम्राट
नौ कहानी संग्रह,
नौ उपन्यास का,
कर योग गया।
प्रथम अनमोल रत्न साहित्य का कर गोदान,
कफन में लिख जीवन सारांश का अंत गया।