बाहर जो आज कर्फ़्यू है

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देख भारत सरकार ने आज २२ मार्च २०२० को ‘जनता कर्फ़्यू’ का आवाहन किया है। सभी लोग अपने घरों में सीमित हैं। यही देख कलमकार इमरान संभलशाही ने इस माहौल को अपनी कविता में व्यक्त किया है।

लोग अपने घरों में बैठ
“कोरोना” पे चर्चा किए पड़े है
टीवी खोलकर न्यूजी शोर मचाए पड़े है
कोई खटर तो कोई कटर करने में लगे हैं
चाय की चुस्कियों के साथ कोरोना-कोरोना
की दहशत छेड़े पड़े हैं

कोई “गाना” सुनने में तो कोई “सोशल मीडिया” पे किसी से भिड़े पड़े है
कोई अपने “प्रेमी” तो कोई अपनी “प्रेमिका” को
“प्रेम” के दो शब्द बोले पड़े है
कोई “गीबत” करने में तो कोई “जलनखोरी” में खड़े है

और “हम”
केवल व केवल
अपनी “मां” संग
बालकनी में बैठ….
चारों तरफ से आती हुई “चिड़ियों” की चहचहाहट और सरसराती
“हवाओं” की मधुर ध्वनि सुन रहे हैं
व “पेड़ों” को अंगड़ाई लेते हुए उनके “पत्तों” की बेफिक्री में हिलना-डुलना
अपलक देख रहे हैं

और तो और
चारों तरफ फैली हुई “सन्नाटा” को खूब
महसूस कर रहे हैं
है ना! कितनी “अद्भुत” व शानदार “दृश्य!”
कारण……
केवल..
बाहर जो आज “कर्फ़्यू” है

~इमरान सम्भलशाही

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