सावन की बारिश हम सभी के लिए जीवनदायी होती है, किंतु यदि बरसात ज्यादा हो जाए तो प्रकोप साबित होती है। कलमकार खेम चन्द ने अपने अनुभव से सावन में आने वाली विपदाओं को सहने और समाधान पर चर्चा की है। चूंकि सावन बहुत आवश्यक है इसलिए कहा है- फिर आना सावन।
गरजते बादल कड़कती बिजली, तरबतर हर जमीं नदी नाले नहर है।
पहाडों का खिसकता कण पानी पानी गाओं शहर है,
आज फिर मानुष कह रहा है ये उस खुदा का हमारी गलतियों पर अपना कहर है।भूल जाते है समस्या और भूला देते हैं करना समाधान,
डूबी बरसों से हर झोपड़ी हर आलीशान वो मकान है।
सावन की बुन्दो से आखिर क्यों मानव तु इतना परेशान है,
फिर करेगा गुहार बारिश की वो सभ्य किसान फसलों से लहराते जिनके खेत खलिहान है।हर बार जम कर बरसना बादल,
क्योंकि फ़ीका सजा रखा है उतर जाये वो काजल।
परेशान हम नहीं तुझसे व्यवस्था हम बनाते नहीं,
पानी भी चाहिये संग पर आज धुत्कार कर है हम अपने दुख सुनाते।क्यों नहीं हम थोडी़ सी सावन की विपदा से है संभल पाते,
चला जायेगा सावन तु भी ज़िन्दगी में दुखों का अम्बार लगाके।
कुछ सपनों को जो फिर देखेंगे हम सभी उन्हें सुला के,
फिर आना तू खिलखिलाते।
गरीब जनता जनार्दन की बस्तियों संग किसानों के खेत खलिहान बचाके,
सावन में फिर लहराती फसलों को नचाके।टपकती छत से बुन्दो ने मकान हिला दिया,
सावन चला गया पर समाधान न किया।
तरस रही है माटी तरस रही घाटी,
न बरसना बादल तुम कभी बोले जिसे बारिश हम सभी आत्मघाती।
कुछ सह गये कुछ बह गये,
जख्म नासूर है हर सावन के बाद मरहम पट्टी से वंचित रह गये।आयेगा सावन लौट के फिर कुश्तियाँ हमारी भी चलेगी
नाससझ बालक खेलते खेलते पथ पर विपदा से अन्जान कह गये।
न जाने अबके सावन फिर कितने मकान सावन की बुन्दो से ढह गये।~ खेम चन्द
हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है। https://www.facebook.com/hindibolindia/posts/397870667786778
Post Code: #SwaRachit154