मेरे भाई हैं मेरी पहचान
मेरे भाई हैं मेरी पहचान
इनसे ही जानता है मुझको जहान
मेरे भाई हैं मेरी जान
कैसे मैं मेरे भाइयों का परिचय करवाऊ
वह अनमोल शब्द मैं कहां से लाऊं
जिनसे मैं इन्हें शब्दों में बांध पाऊं
उनका परिचय नहीं इतना आसान
मेरे भाई हैं मेरी जान
पहले भाई मेरे शिक्षक हैं
इन्होंने मुझे शिक्षित किया
तो दूसरा भाई है मेरा अभिमान
इनसे मैं सीखी सच्चा ज्ञान
तीसरा भाई मेरी शक्ति है
इनसे निडर रहना मैं सीख गई
चौथा भाई मेरा है थोड़ा नादान
मोहल्ले वाले भाई भी है अनमोल
नहीं चुका सकती मैं इनके प्यार का मोल
पग पग पर मेरे भाइयों ने
हमेशा मेरा साथ निभाया
हर कठिनाइयों से मुझको बचाया
गलत सही का भेद बताया
सच का साथ देना मुझको सिखया
हर दम आगे मैं बढ़ती रहूं
हर पल मेरा हौसला बढ़ाया
जब कभी मेरा कदम लड़खड़ाया
मुझे थामते हुए
मैंने मेरे भाइयों को अपने पास पाया
ऐसे प्यारे भाइयों का साया
जिस बहन के सिर पर हो छाया
उसका कोई भी, कुछ नहीं बिगाड़ पाया
धन्य हूं मैं जो मैंने ऐसा भाई पाया
मेरे भाई हैं मेरी जान
रक्षाबंधन एक पवित्र सूत्र
नीले पीले हरे गुलाबी
बहुत से रंग रगीले हैं।
भाई के हाथों में सजते
बहुत ही सजीले हैं।
बहनों के प्रेम में लिपटे
ये रक्षा-सूत्र रंगीले है।
भाई जो कसमे खाते
बंध जाते इन धागों से
बहनों की खातिर जो
लड़ जाते, हर झाड़
कटिलों से।
सावन माह में आता है
सुन्दर यह त्योहार,
सदा रहा है, सदा रहेगा,
अमर भाई-बहन का प्यार।
कोरोना मे रक्षाबंधन
बाहर है फैली महामारी,
जाने कैसी ये आयी बीमारी,
ना गले लगाना,
ना हाथ मिलाना,
दूर रहोगे तो ही,
खुद को बचा पाऊँगी..
माफ करना भाई,
मै इस रक्षाबंधन,
ना आ पाऊँगी….
ना सजेगा राखी का थाल,
ना होगा कोई धमाल,
ना मिलेंगे हम किसी से,
ना तुझसे रूठूँगी,
ना तुझे मनाऊंगी,
माफ करना भाई,
मै इस रक्षाबंधन,
ना आ पाऊँगी..
ना नए कपड़े होंगे,
ना हम तैयार होंगे,
ना माँ का प्यार मिलेगा
ना पिता का आशीर्वाद
लें पाऊँगी..
माफ करना भाई
मै इस रक्षाबंधन
ना आ पाऊँगी…
रह जायेगी सुनी कलाई,
कैसे खिलाऊंगी तुझे मिठाई,
तोहफों पर ना होंगी लड़ाई,
प्यार के इस रिश्ते की डोर,
इस बार नहीं बांध पाऊँगी,
माफ करना भाई,
मै इस रक्षाबंधन,
ना आ पाऊँगी…
ना मिले तो भीं क्या,
हम साथ हैं हमेशा,
प्यार हमारा बना रहेगा,
धागा बंधे भले ही ना,
इस बार ये सावधानी
रखना ज्यादा हैं जरूरी,
तो मै अपना फ़र्ज निभाऊंगी,
माफ करना भाई,
मै इस रक्षाबंधन
ना आ पाऊँगी
प्रेम की राखी
रक्षाबंधन का त्योहार है आया
खुशियों का खजाना है लाया।
भाई-बहन का प्यार है अनोखा
हमेशा ही रहता प्रेम का झरोखा।
कभी न टूटे इनका पावन बंधन
होता इस रिश्ते का जग में वंदन।
वर्ष में रक्षाबंधन इक बार ही आए
पुरानी यादों को ताजा कर जाए।
बहना बाँधे राखी भाई की कलाई
आरती उतार, खिलाती है मिठाई।
भाई भी देता है रक्षा का वचन
करता अपनी बहना को नमन।
दोनों के बीच जो डोर बँधी है
वह प्रेम की राखी से सजी है।
यूँ ही यह त्यौहार सदा आता रहे
भाई-बहन के प्रेम को बढ़ाता रहे।
रक्षाबंधन
दो धागों का ये अनमोल त्योहार,
बसा है इसमें भाई-बहन का प्यार,
मिले माता पिता से ढेरों दुलार,
वर्ष में आये ये त्योहार एक बार
कहते हैं इसे ही पवित्र राखी का त्योहार।।
झूम उठती है सावन की बहार,
आता है जब ये प्यारा सा त्योहार,
तेज हो जाती भाईयों की रफ़्तार,
सुन धड़कन खिंच लाती बहनों की पुकार,
अमर रहे यह बंधन जब तक रहे संसार।।
टूटे ना कभी ये बंधन की डोर,
मिटे ना कोई बहन का श्रृंगार,
शरहदो पर वीरों को मिले बहनों का बयाम,
कर सेवा पहले देश की यही है बहनों का उपहार,
सजी रहे भाईयों की कलाई दू यही आशीष बार बार।।
पड़े जो कभी हम दुःख में लाचार,
समझ जाते हैं एक-दूसरे के मन के विचार,
आए ना बीच कभी कोई दीवार,
मिटे ना जग में कभी भाई-बहन का प्यार,
हाँ! यही तो है “रक्षाबंधन” सबसे पावन त्योहार।।
पवित्र प्रेम- रक्षाबंधन
भाई बहन के अटूट प्रेम के बंधन का यह त्योहार है,
प्यार और विश्वास के रेशमी डोर से इसका श्रृंगार है।
रूठते, मनाते, लड़ते, झगड़ते कैसे ये बचपन ये बीता,
आई जवानी दूरियों के कारण भाई बहन का जीवन रीता।
रेशमी धागे से सजी कलाई, खाये खिलाये खूब मिठाई,
एक दूजे के बिना फीका यह त्योहार है।
दुनिया में छल फरेब और धोखे का बाजार है,
पर भाई पर बहन का अटूट विश्वास का ये आधार है।
खून के रिश्तों का हो ये बंधन यह जरूरी नही,
दिल से दिल का हो ये बंधन ऐसा रिश्ता नही कही।
बहन की अस्मिता की रक्षा हेतु
हर भाई जी-जान से तैयार है।
बहन की कामना है कि हो दीर्घायु भाई उसका,
न आये जीवन मे उसके दुख की काली छाया,
इसके लिये हर देवी देवता को लगाती गुहार है।
पवित्र प्रेम का बंधन है रक्षाबंधन,
इस पर हर खुशियाँ वार है।
कोरोना काल की राखी
कोरोना का जख्म अब भी हरा है..
अब भी खतरा नही टला है..
कोरोना काल के इस रक्षाबंधन पर ,
इसबार पीहर मत आना बहना..
देना स्नेह आशीष दूर से,
रक्षा वचन भैया का, यह निभाना बहना..
प्रेम की राखी बांध देना कलाई पर,
मस्तक यश कामना तिलक लगा देना..
जहाँ रहो मेरे नाम से, कुछ मीठा तुम बना देना
कोरोना काल के इस रक्षाबंधन पर,
इसबार पीहर मत आना बहना..
देना स्नेह आशीष दूर से,
रक्षा वचन भैया का, यह निभाना बहना..
माँ तुम्हारी राह निहारेगी,
पापा तुम्हारी बांट जोहेंगे..
भाभी भी सुधि लेगी तुम्हारी..
बच्चे भी बुआ को याद करेंगे..
पर मन को निष्ठुर कर रक्षाबंधन पर,
इसबार पीहर मत आना बहना,
देना स्नेह आशीष दूर से,
रक्षा वचन भैया का यह,निभाना बहना..
मन से बांध देना मुझे रक्षा सूत्र ,
रक्षा वचन ही निभा रहा हूँ..
कोरोना काल में तुम्हें,
सुरक्षा उपहार देकर बचा रहा हूँ..
कोरोना काल के इस रक्षाबंधन पर,
इसबार पीहर मत आना बहना,
देना स्नेह आशीष दूर से ही,
रक्षा वचन भैया का यह, निभाना बहना..
रक्षाबंधन
देखो बाजार में कितनी भिड़ है, उमड़ी।
रंग- बिरंगी रेशमी धागों से जुड़ी ये सिकड़ी।
कहने को तो ये केवल एक धागा कहलाए,
पर इन धागों में बहने, अपने भाई की रक्षा,
और जीवन भर का प्रेम का दामन सजाए।
हर वर्ष रक्षा बंधन का त्यौहार जब आए।
पवित्र पर्व की तैयारी में बहने जूट जाए।
अपने भाई की कलाई, सुनी न पड़ने देती।
बहनें कभी भाई को मायूस न होने देती।
कभी होती टकरार, होती कहा- सुनी कभी,
पर प्यार कम न होता, इन दोनों के बीच कभी।
मांगती न कभी कोई उपहार,
दुआ करती, दिन- रात
दुःख की छाया न पड़े,
कभी मेरे भाई पे।
सदा बना रहे मेरे भाई के जीवन में
खुशियों की बहार।
कुछ इस तरह पावन है,
यह राखी का त्योहार।
रक्षाबंधन की खुशियाँ
आने वाली हैं वो घड़ी,
जब सभी बहने ख़ुशी से झूम उठेगी छोटी हो या बड़ी।
सावन के पावन महीने के अंत में आता है,
पुरे परिवार को एकत्र कर खुशियां हजार लाता हैं।
रेशम के धागे में मोतियों को पिरोया जाता हैं,
बांध उस धागे को गैरों से भी रिश्ते का बीज बोया जाता हैं।
सज धज कर सभी बहने करती हैं भाइयों का इंतजार,
दूर-दूर से आकर भाई लुटाता हैं प्यार बेशुमार।
बहनें सुबह से करती हैं उपवास बांधने भाई की कलाई पर राखी,
भाई भी तो नहीं खाते, बिना बँधवाएँ, एक भी मिठाई।
बहनें बैठा कर, भाइयों को सामने लगाती हैं चंदन,
बांधती हैं भाई के कलाई पर रक्षा का बंधन।
रिमझिम बारिशें खुशियां लाती हैं, हवाएं रिश्तो को महकाती हैं,
लम्बे उम्र की दुआएं मांग, बहनें भाइयों की आरती उतारती हैं।
भाई देता हैं आशीष, साथ ही तौफे हजार,
बड़ा अनोखा होता हैं भाई बहन का व्यहवार,
लड़ते हरदम हैं एक दूसरे से पर कभी कम नहीं उनका प्यार।
पुवा पकवान और ढेरो मिठाइयों की बौछार होती हैं,
ये भाई बहन के रिश्ते की सबसे पावन त्योहार होती हैं।
धागा प्रेम का
मैंने देखा हैं, उसको
साल भर उसे संभालते
उसके एक एक मोती को
फिर हाथ से समेटते।
हो जाये वो परेशान
काॅपी में हो जाए निशान
उसके गीलेपन से।
हो जाए वो बेरंग,
पर फिर भी उसकी शान दिखलाते।
फिर अगली राखी में,
ये कहतें देख मैंने रखा हैं।
संभाल कर इसे।
और तू कहती हैं,
परवाह नहीं हैं तुझे
मेरे प्रेम की।
बस जैसे रखता हैं,
धागे का मान।
करना सभी स्त्रियों का सम्मान।
माँ, बहन, भाभी या हो पत्नी तेरी
तू बनना सबका अभिमान!
प्यारा बंधन रक्षाबंधन
भाई बहन का अनोखा बंधन
प्यारा बंधन रक्षाबंधन
कलाई धागा माथे चन्दन
प्यारा बंधन रक्षाबंधन
ये त्यौहार खुशियों का संगम
प्यारा बंधन रक्षाबंधन