रक्षासूत्र
आज हमारे घर में देखो,
प्यारी बहिना आई है
भाई का अभिनन्दन करने,
थार सजाकर लाई है।
जिसमें सब धागे स्नेह के,
आशाओं के मोती हैं
आज बांधने रक्षा का वो,
सूत्र साथ में लाई है।।
तिलक लगाकर वो ललाट पर,
विजयकामना करती है
दीप जला कर करे आरती,
मंगल चारण करती है।
चिरंजीवी हो भाई मेरा,
ईश्वर दे वरदान मुझे
वो स्नेह के सारे मोती,
सहज लुटाया करती है।।
प्यारा पर्व रक्षा बंधन
रेशम की नाज़ुक डोर से,
बांध मज़बूत बंधन।
भाई बहन के प्यार का अनोखा संगम
है ये प्यारा पर्व रक्षा बंधन।।
चन्दन का टीका ललाट पे लगा के,
मिठाई से मुह मीठा करा के
करे कामना बढ़े भाई का जीवन
ऐसा है ये प्यारा पर्व रक्षाबंधन।।
एक ख़ुशी उसके चहरे से झलकती है,
मारे ख़ुशी उसकी आँखें चमकती है।
ह्रदय बोल उठे, गुलज़ार रहे उसका चमन
हाँ, ऐसा है ये प्यारा पर्व रक्षाबंधन।।
हर ख़ुशी बहना के नाम करूँ,
‘अनुराग’ उससे तमाम रखूँ।
पवित्र है जहाँ में भाईबहन के प्यार का संगम
ऐसा है प्यारा पर्व रक्षाबन्धन।।
राखी
राखी बंधवा लो भईया इस बार थोड़े प्यार से,
डोली में बैठ बहना अबकी चल जाएगी सासरे।
फिर याद करोगे तुम उसकी वो सारी शरारतें,
पर लौटके आएंगी सिर्फ उसकी वो मुस्कुराहटें।
याद आएगी बहुत वो बचपन की साथी तुम्हें,
याद आएगा बहुत वो उसको सताना तुम्हें।
याद आएगी बहुत वो हर तीज – त्यौहार में,
याद आएगी बहुत वो हर मौसम के बहार में।
याद आएगी तुम्हें वो हर शाम चाय की मिठास में,
याद आएगी तुम्हें वो हर चटपटे खाने की तलाश में।
याद आएगी तुम्हें वो अपने घर के हर कोने में,
लेकिन तब वो होगी किसी और के आंगन में।
वो मिल पाएगी फिर तुमसे कुछ महीने, कुछ दिन के लिए,
वो हो जाएगी फिर शायद पराई अपने इस घर के लिए।
राखी बंधवा लो भईया इस बार थोड़े प्यार से,
डोली में बैठ बहना अबकी चल जाएगी सासरे।
राखी
हाँथ अपने तू मेंहदी-महावर सजा,
घर का मौसम भी अपने गुलाबी सजा,
आ रहे भाई! भगिनि तेरे द्वार पर,
आज उनकी कलाई पे राखी सजा
भाल रोली से, अक्षत से उनका सजा,
घृत के दीपक से अब आरती तू सजा,
चल रही है पवन, आ रही है महक,
उठ रसोई में थाली में मीठा सजा
घर की देहरी पे सुंदर रंगोली सजा,
तन पे अपने रंगीली चुनरिया सजा,
अपनी रक्षा का भईया से वर आज ले,
झूमकर आँगन में अपने सपने सजा
वो तो लाये हैं पायल, चल पैर में सजा,
गीत राखी के अपने लबों पर सजा,
घूम जा-झूम जा बन के सावन छटा,
जैसे द्रौपदी के साथ कान्हा सजा।
रक्षा का बंधन
भाई-बहन के प्रेम का
पावन त्यौहार है आया
प्यार के धागों से पिरोया
सीपी की मोती सा सजाया
गाये रक्षा पर्व नीत
शुभ मंगल के गीत
कुमकुम अक्षत फूलों से
टीका माथे पर लगाया
मौली नारियल मिठाई
थाली में सजाया
आरती उतार बलैयां लिया
टूटे ना कभी यह बंधन की डोर
सजी रहे भाईयों की कलाई
खिली रहे प्रेम की बगिया
सुमधुर स्नेहिल बंधन से
जन्मों का साथ ना छूटे
खुशियों से भरी रहे जीवन
अमर रहे भाई बहन का स्नेह बंधन।
सर्वोत्तम बंधन
बंधनों में ये सर्वोत्तम बंधन है, ये रक्षाबंधन है,
भाई बहन का प्यारा बंधन है, ये रक्षाबंधन है,
बहना की लाज बचाने को, भाई का फर्ज है,
बहनों की प्रेम – प्रीत का, भाई पर ये कर्ज है,
प्यार तपस्या त्याग से उसको निभाएंगे हमसब,
प्रेम प्रीत की रीति को सदा निभाएंगे हमसब,
कच्चे धागे की तो ये रेशम जैसी चिकनी रीति है,
भाई बहन के प्यार की ये तो अनुभव रीति प्रीत है,
हे प्रभु ये ताकत बल दे! हम इसको निभाते रहे,
बहनों के चेहरों पर ऐसे ही कमल से मुस्कुराते रहे.
राखी का त्यौहार
कच्चे धागों से बंधा है, भाई-बहन का प्यार
कितना अच्छा लगता है, ये राखी का त्यौहार
पूजा के लिए थाल सजाया, किया है टीका चन्दन से
रक्षा-सूत्र हाथ में बाँधा फिर राखी के बन्धन से
तू मेरे आँगन की तुलसी, तू ही मेरा गहना
इतनी प्यारी लाखों में सिर्फ एक मेरी बहना
तू रूठे तो लगता है, मुझको जग रूठा-रूठा
घर आने से संग तेरे आती है खुशियाँ हजार
कितना अच्छा लगता है ये राखी का त्यौहार
इस दुनिया ने लगाया है हर वस्तु का मोल
फिर भी तेरा प्रेम सदा ही निश्छल और अनमोल
जो मेरे हाथ में बाँधी है तूने रेशम की ड़ोर
इस बन्धन के सागर का न कोई दूसरा छोर
रोली और गंगाजल सा है ये अपना साथ
इस राखी के अवसर पर तुझे क्या दूँ मैं उपहार
कितना अच्छा लगता है ये राखी का त्यौहार
कच्चे धागों से बंधा है, भाई-बहन का प्यार
कितना अच्छा लगता है, ये राखी का त्यौहार