जन्म लिया प्रभु ने धरती पर
तो यह धरती बनी सुख धाम,
गर्व है, हम उस मिट्टी में खेले
जहां अवतरित हुए प्रभु राम।
राम नाम में सृष्टि है समाहित
इस नाम में बसे हैं चारों धाम,
हर संकट को झट से हर लेते
सब मिल बोलो जय श्री राम।
जिनकी मर्यादा एक शिखर है
और पितृभक्ति का है गुणगान,
हर कष्ट सहा पर मन ना डगा
मेरे मन में बसते ऐसे श्री राम।
सुख वैभव का उन्हें मोह नहीं
दीन दुख हरण है उनका नाम,
नाश किया उन्होंने अधम का
धर्म संस्थापक हैं मेरे प्रभु राम।
बस राम नाम के मैं गुण गाऊं
उन्हें कोटि कोटि करूं प्रमाण,
राम नाम ही तारेगा भवसागर
सब जग बोलेगा जय श्री राम।
~ देवकरण गंडास “अरविन्द”