जन्मों का रिश्ता

जन्मों का रिश्ता

दोस्ती का रिश्ता बहुत ही प्यारा होता है, आप अपने दोस्त चुन सकते हैं किन्तु पारिवारिक रिश्ते बने बनाए मिलते हैं। कलमकार अनुभव मिश्रा चहीते यारों को यह पंक्तियाँ समर्पित करते हैं।

बेशक दोस्तों की बदौलत ही खुशनुमा ये जहान है,
माना मोहब्बत का भी इसमे एक अनोखा स्थान है,
पर अपने सुख दुख के साथी और पहले यार को कैसे भूल जाऊँगा,
जन्मों का रिश्ता तो बस मैं अपने परिवार के साथ ही चाहूँगा.

एक यार होना जरूरी है जो शरारतों में निभाएं बराबर की हिस्सेदारी,
एक प्यार होना जरूरी है जिसको बता सकें हम दिल की बातें सारी,
पर हमारे चेहरे से ही जान जाएं जो तमन्नाएं हमारी उस यार को कैसे भूल जाऊँगा,
जन्मों का रिश्ता तो बस मैं अपने परिवार के साथ ही चाहूँगा.

जरूरत पड़ने पर जो अपना पिगी बैंक तोड़कर पैसे ले आए ऐसा यार बहुत जरूरी है,
जन्मदिन पर चुपके से गिफ्ट देखकर जो उसे और भी स्पेशल बनाए ऐसा प्यार बहुत जरूरी है,
पर जो हमारे बिना बताये हमारी जरूरत का सरप्राइज हमारे लिए ले आए उस यार को कैसे भूल जाऊँगा,
जन्मों का रिश्ता तो बस मैं अपने परिवार के साथ ही चाहूँगा.

मस्ती करते हुए मंदिर, मस्जिद जिसके साथ घूमने जाएं वो यार बहुत जरूरी है,
भगवान से प्रार्थना करते समय जिसे सोच कर मुस्कराएं ऐसा प्यार बहुत जरूरी है,
पर हर दम, हर पल, हर पहर जो भगवान से महज हमारी खुशियों की ही प्रार्थना करे ऐसे यार को कैसे भूल जाऊँगा,
जन्मों का रिश्ता तो बस मैं अपने परिवार के साथ ही चाहूँगा.

झगड़ा होने पर किसी से जो सबसे पहले समर्थन में आगे आए वो यार बहुत जरूरी है,
हाथापाई का पता चलने पर डाँट कर जताए जो परवाह हमारी वो प्यार बहुत जरूरी है,
पर इस सब से दूर रहने को हमें एक दोस्त की तरह समझायें जो ऐसे यार को कैसे भूल जाऊँगा,
जन्मों का रिश्ता तो बस मैं अपने परिवार के साथ ही चाहूँगा.

~ अनुभव मिश्रा

Post Code: #SwaRachit397

Leave a Reply


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.