क्रांति

क्रांति का स्वर लोगों के दिल और दिमाग को छू जाता है। इसका असर इतना गहरा होता है कि लोग स्वयं ही इसका हिस्सा बनने के लिए आगे आते हैं। कलमकार राजेश्वर प्रसाद ने क्रांति के बारे मे कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं जो आपको पसंद आएगी।

नहीं लड़ना है, तो मत लड़ो
कम से कम अन्याय पर गुस्सा तो करो
चुप रहकर अन्याय का हिस्सा तो मत बनों
समाज में शांति बताती है
अन्याय कहीं न कहीं
पल रहा है
कम से कम मुट्ठियाँ तो भींचो
दांत तो किटकिटाओ
कम से कम
आवाज तो लगाओ
शायद
तुम्हारी आवाज ही
क्रांति बन जाए
दिन में न सही
रात में
मशाल तो उठाओ
कोई न कोई
तुम्हारे हाथ से
मशाल ले ही लेगा

~ प्रो. राजेश्वर प्रसाद

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