तसल्ली! तुम भी क्या चीज हो
सच कहूं तो बिल्कुल अजीब हो
मुश्किल से तो मिलती हो
न मिलो तो बडी बेचैनी हो
मिलो तो खूब खुशी हो।
तसल्ली! तुम कहां रहती हो
जब भी किसी से मिलती हो
उसे बड़ी राहत दे जाती हो
ज्यादा देर तक दूर न रहो
हर दूसरे पल मिलती रहो।
तसल्ली! अक्सर तुम्हें पाया है
कठिनाइयों से जीतकर
जिम्मेदारियां निभाकर
भक्ति-भाव में डूबकर
किसी को खुश देकर।
तसल्ली! तुम आती हो
जब प्रियजन मिलें
जब बिगड़े काम बनें
जब मनमर्जी चले
जब हार भी जीत लगे।
तसल्ली! बहुत जरूरी हो जीवन में
जब तुम मिलती हो
उस पल को बयां कैसे करें?
जान में जान आ जाती है
वक्त बेवक्त बस यूं ही मिला करो