प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण

प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आइए हम सभी पर्यावरण के संरक्षण का संकल्प लें। पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। आज हमारे हिन्दी कलमकारों ने अपने विचार, अभिव्यक्ति और संदेश अपनी कविताओं में प्रस्तुत किए हैं। प्रकृति का संतुलन बनाने और प्रकृति से मिली सम्पदाओं के सरंक्षण करने के लिए हमें आगे बढ़ना चाहिए। 

• हमारा पर्यावरण ~ दीपिका आनंद

हरे भरे पेड़ों पर बैठी
कूक रही कोयल काली
रंग-बिरंगे पुष्पों से है
हर उपवन की अदा निराली

वो दूर कहीं पहाड़ खड़े हैं
तन कर अपना सीना फैलाए
नाचती पंख फैलाकर मोरनी
अब भला वह क्यों सकुचाए

हर दिन सूरज उदीयमान हो कर
लाता है सुंदर सुशोभित भोर
अस्त होकर वह कहता चांद से
अब संभालो तुम आसमान की डोर

भिन्न भिन्न सुर राग लिए है
कलकल बहती झरने की धार
सूखी पड़ी धरा भी खिल गई
पाकर रिमझिम वर्षा की प्रथम फुहार

पेड़ों से निकले प्राण वायु में
बसता हर जीवधारी का दुनिया संसार
फूलों की पंखुड़ियों से पराग झाड़कर
तितलियां कर रही सोलह श्रृंगार

माटी की भीनी भीनी खुशबू है जैसे
कोई मनमोहक सी सुगंध वाली इत्र
विचरण करते स्वच्छंद पशुओं ने
दिखाया चक्षुओं को एक अनूठा चित्र

इन्हीं अद्भुत अनुपम दृश्यों से
प्रकृति बनी है अद्वितीय,असाधारण
विधाता का नायाब तोहफा है ये
इसलिए बचा कर रखेंगे हम अपना पर्यावरण।

आओ मिलकर संकल्प करें कि पर्यावरण बचाना है
जन-जन तक पर्यावरण रक्षा का यह संदेश फैलाना है
इसके नवजागरण हेतु हर मानस को हाथ बढ़ाना है
इसी पर्यावरण ने छुपा कर रखा हमारी अस्तित्व का खजाना है।

~ दीपिका आनंद
कलमकार @ हिन्दी बोल India

• प्रकृति की प्रवृति ~ भरत कुमार दीक्षित 

प्रकृति की प्रवत्ति है, वो आप-आप ना चरे,
प्रकृति की प्रवृति में, ग़ज़ब का समावेश है,
प्रकृति की प्रवृति से, छेड़छाड़ मत करो,
प्रकृति की ही गोद मे, हम आप नशीन है,
अब्सार प्रकृति में ही है,परवरिश इसी में ही है,
जीवन से जुड़े सार का, आधार प्रकृति ही तो है,
समस्त जड़ी बूटियों कि, पनाह प्रकृति ही तो है,
चेहरे पे जो दिखता नूर, वजह प्रकृति ही तो है,
ले रहे जो साँस हम, नवाजिश प्रकृति ही तो है,
बह रही नसीम जो, प्रकृति प्रवृति बह रही,
अपने किसी भी कृत्य से, नासाज़ प्रकृति मत करो,
प्रकृति के संतुलन को, असंतुलित मत करो,
प्रकृति है तो जहान है, इसके बिना शमशान है,
नायाब सी प्रकृति जो है, नसीम इसके हम सब जो,
प्रकृति को सवारेंगे, प्रकृति को सजाएँगे,
आओ, हमसब प्रण करे, नौनिहाल हम लगाएँगे,
प्रकृति की प्रवृति को, नाचार नही बनाएँगे,
प्रकृति के अक्स को, हम सभी बचाएँगे,
प्रकृति के अक्स को
नौनिहाल लगाएँगे

~ भरत कुमार दीक्षित 
कलमकार @ हिन्दी बोल India

• पर्यावरण बचाओ मिलके ~ ऋषभ तोमर

छिन्न भिन्न किया प्रकृति को,
भींग गये है उसके नयन।
तभी कोरोना तभी अधियाँ,
आफत आई है ये गहन।

मिली अमानत में हमको थी,
सतरंगी प्यारी प्यारी।
छेड़खान करके हम सबने,
रंगों का कर दिया दमन।

स्वर्ग से सुंदर धरती थी ये,
कल्पवृक्ष हर जंगल थे।
काट काट के जंगल हमने,
सुंदरता का किया हवन।

जंगल काटे , सागर पाटे,
हिंसा और रक्तपात किया।
देख रक्त की सरिता भू पे,
पीड़ा में प्रकृति का जहन।

झूठी तकनीकी के नाम पे,
भौतिकता की ख्वाहिश में।
दूषित धरती, दूषित वायू ,
दूषित कर डाला है गगन।

ईश्वर का साक्षात स्वरूप है,
हरी भरी कुदरत सारी।
अपनी संतानों का मरना,
कैसे कर ले भला सहन।

जल वायू आकाश अग्नि,
धरती सबके सब दूषित।
धुँआ धुँआ हर ओर बसा है,
व्यथित बहुत प्रकृति का मन।

संभल गये तो ठीक है वरना,
मिटेगी मानव की बस्ती।
ये आंधी तूफा बस संदेशे है,
संकट तो अब आयेंगे गहन।

प्रकृति के न परेय ऋषभ है,
मानव की कोई हस्ती।
पर्यावरण बचाओ मिलकर,
लगाओ अपना तन मन धन।

~ ऋषभ तोमर
कलमकार @ हिन्दी बोल India

• वो पुराना पेड़ ~ मुकेश बिस्सा

हो चुका हूं
अब बूढ़ा मैं
बहुत हो चुकी
है अब उम्र भी मेरी
कितने सालों से
हूँ अपने पैरों पर खड़ा
कितनी सर्दी,गर्मी
बारिश और कई
मौसमों का ,तूफानों का
सामना कर चुका हूं
हमेशा रही कुछ
देने की इच्छा
पाना कभी किसी से
तो चाहा नहीं
कितने पंथी
कितने राही
मेरे आग़ोश में
शीतलता पा चुके
कुछ सुकून पा चुके
लेकिन अब समय की
अविरल धारा में
परिवर्तन ही आ गया है
नूर मेरे चेहरे का
खो कही गया है
शीतलता अब रही नहीं
उष्णता फैल रही है

छाया दूर हो गई है
पत्ते बिखर गए है
सारे मौसम मुझे अब
अजीब से लग रहे है
लगता है मुझे अब
वृद्ध सा हो गया हूँ
ज्यादा नहीं तो
केवल थोड़े काम का
अब रह गया हूँ
बचा खुचा जीवन
न्यौछावर तो
ही करना है
वक्त की आंधी में
उड़कर मिट्टी में
मिल ही जाना है।

 ~ मुकेश बिस्सा
कलमकार @ हिन्दी बोल India

• पेड़ व हम ~ मनोज बाथरे चीचली

सर्दी का मौसम हो
गर्मी का मौसम हो
वर्षा का मौसम हो
हम हर मौसम में
कुछ न कुछ
परेशानियों से दो चार होते हैं
पर हर मौसम में
पेड़ ही एक ऐसे
एकलौते है जो
सर्दी की ठंडक
गर्मी की तपिश
वर्षा की सुहानी बहारों में
सदा मुस्कुराते हुए
हमें कदम दर कदम
साथ निभाने के लिए
हर दम खड़े हैं।

~ मनोज बाथरे चीचली
कलमकार @ हिन्दी बोल India

• प्रकृति की पूजा ~ संजय वर्मा “दृष्टि”

गरजती-चमकती
बिजलियों से अब डर नहीं लगता
अपने पसीने से सींचे हुए
खेतोँ में लगे अंकुरों को देखकर
लगने लगा
हमने जीत ली है
मान -मन्नतो के आधार पर
बादलों से जंग

वृक्ष कब से खीचते रहे
बादलों को
अब पूरी हुई उनकी मुरादें
पहाड़ो पर लगे वृक्ष
ठंडी हवाओं के संग
देने लगे है
बादलो को दुआएँ

पानी की फुहारों से
सज गई धरती की
हरी-भरी थाली
और आकाश में सजा इन्द्रधनुष
उतर आया हो
धरती पर
बन के थाली पोष

खुशहाली से चहुँओर
हरी-भरी थाली के कुछ अंश
नैवेध्य के रूप में ईश्वर को
समर्पित कर देते है किसान
श्रद्धा के रूप में
शायद, ये प्रकृति की पूजा का
फल है

~ संजय वर्मा “दृष्टि”
कलमकार @ हिन्दी बोल India

• वृक्ष ~ प्रिया कसौधन (पूर्वी)

वृक्ष हमारा जीवन साथी
अगर वृक्ष नहीं होता तो
जीवन सम्भव ना होता
क्यों की वो हमें आक्सीजन देता
वृक्ष ऐसी प्राकृतिक है जो
पूरी पृथ्वी को हरा भरा और
खुशहाल है रखता
वृक्ष हमें जीवन भर
कुछ ना कुछ है देता रहता
फिर भी मानव निजी स्वार्थ के लिए
उसे काट है देता
वृक्ष हमारे जन्म से ही
हमारे लिए प्रदूषण से लड़ता
वह हमें स्वच्छ और सुंदर
पर्यावरण है देता
वृक्ष हमें जीवन भर खाने के लिए
फल और अनाज है देता

और जो फूल हम भगवान को चढ़ाते
वह भी वृक्ष से ही आता
बारिश भी इन्हीं की वजह से है होता
जिससे हमें पीने को जल है मिलता
वृक्ष से कागज बनता पर हम लोगो को
एक कागज का भी महत्व नहीं पता
मानव उसे फाड़कर फेक देता
जो गलत होता
ये हमारी पर्यावरण की देन है
वृक्ष का महत्व जानकर
वृक्षो की सुरक्षा करना
यही हमारा है कर्तव्य
यही हमारे जीवन में
वृक्ष का है महत्व

~ प्रिया कसौधन (पूर्वी)
कलमकार @ हिन्दी बोल India

• करें प्रकृति से प्यार  ~ दिव्या रावत गर्ग उण्डू

पर्यावरण को आप बचाएं, सूनी धरती पेड़-पौधे लगाएं ।
पर्यावरण संरक्षण में योगदान देकर अपनी भूमिका निभाएं ।।

पर्यावरण प्रदूषण को बचाना हमारा कर्तव्य समझे ।
सभी पेड़-पौधे लगाएं, संरक्षण की जिम्मेदारी लेके ।।

बढ़ती जनसंख्या में पर्यावरण अगर नहीं रहेगा सुरक्षित ।
मानव जीना होगा दूभर जब हो जायेगा सबकुछ दूषित ।।

आप सब लगाएं कम-से-कम एक पेड़ बनेगें अनेक ।
लें रक्षा का संकल्प और पूरी तरह करे उसकी देखरेख ।।

करें प्रकृति के उपहार सौर उर्जा का करे सब उपयोग ।
बिल का छुटकारा पाएं हो ताप विद्युत का कम उपभोग ।।

रासायनिक खादों का कम करे धरती पर छिड़क़ाव ।
उन्नत खेती रसायन मुक्त, भूमि प्रदूषित होने से बचाव ।।

कूड़े कचरे का करें उपयोग, समुचित रीती से निपटारा ।
घर फैक्ट्रियो में सौर ऊर्जा यन्त्र लगाकर करें उजियारा ।।

आपके इस यत्न से वायु प्रदुषण में आएगी कमी ।
पर्यावरण प्रदुषण को हम मिलकर रोकें आज ही ।।

सभी करो प्रकृति पेड़-पौधे व जीव-जंतुओ से प्यार ।
कहे दिव्या बन्धुओ! यही तो है अपने जीवन का आधार ।।

– दिव्या रावत गर्ग उण्डू


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SWARACHIT943H -वृक्ष
SWARACHIT943G -करें प्रकृति से प्यार
SWARACHIT943F -प्रकृति की पूजा
SWARACHIT943E -पेड़ व हम
SWARACHIT943D -वो पुराना पेड़
SWARACHIT943C -पर्यावरण बचाओ मिलके
SWARACHIT943B -प्रकृति की प्रवृति
SWARACHIT943A -हमारा पर्यावरण

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