जल ही जीवन है। जल संचयन और संरक्षण बहुत ही जरूरी है- यह बात हम सभी भली-भाँति जानते हैं किन्तु अम्ल करने से चूक जाते हैं। कलमकार खेम चन्द भी जल और उसके संसाधनों के संरक्षण पर जोर दिया है।
प्यास लगी है जोरों से
कोई जल का भण्डार बता दो।
पीने योग्य स्वच्छ पानी का
दुनिया में आकार बता दो।
रोज़ घट रहा हमारे आस-पड़ोस का जल
देखो खुला तो नहीं रखा है किसी ने नल।
वैश्विक समस्या हो गई कमी ये पानी है
दिन-प्रतिदिन घट रही है यहाँ
पुराने बावड़ियों कि रानी है।
भूगर्भीय जल भी
अंतिम पग पर चल रहा खाली है
आस कैसे प्यास बुझाने की अब पाली है।
टुटी होगी कहीं पर पानी कि वो नाली है।
बून्द -बून्द बचायें जल
यही अब हमने करनी रखवाली है।
बिन पानी के कैसे ये आज मेरे शहर में
मनाई जा रही दिवाली है।
दिखती स्वप्नों में मुझे
रात वो घनेरी बहोत काली है।
हर कूंए, तलाब पड़े यहाँ
बरसात में भी खाली है।
आओ मिलकर हम सभी एक प्रण लें
बून्दें जो है किमती जल कि उन्हें थोड़ा रि्ण दें
बचाओ जल खुले मत छोड़ो पानी के नल
वरन् दयनीय होगा बिन पानी के
आने वाला वो संजो रखा है जो कल।
बूंद -बूंद का अहसास समझो
यूं न आपस में एक-दूसरे की गलतियों पर उलझो।
जल है हम सबके लिये जरूरी
इसके बिना जीवन की कल्पना अधूरी
जगानी होगी मिलकर वैश्विक जनता सारी
आज ही करनी होगी
मूल्यवान जल स्तोत्रों को बचाने की तैयारी।
बहोत कम स्वच्छ जल के भण्डार बचे हैं
शायद तबाही के ये मंजर हमने खुद रचे हैं।
नादान कलम भी है बरसों से प्यासी
बस शब्दों से ही है इसने खेम चन्द
बचाव की मुहिम तलाशी।
जन-जागरण सबको करवाना होगा
महत्व जल का गांओं, शहर, देश
हर बस्ती बताना होगा।
क्यों न पाठ जागरूकता
स्कूल -स्कूल चलाया जाए।
बच्चों को समझायें कैसे
आज कल के लिये ये जल बचाया जाए।
“जल दिवस “तो हम मिलकर हर साल मनायेंगे
समाधान ढूढों कैसे ये जल स्तोत्र बचाये जायेंगे
विकास के नाम पर
कहीं न कहीं जलस्रोत हटा जायेंगे
विनाशक घटक जल में मिलाये जायेंगे
कैसे ये वैश्विक समस्या के समाधान
कागज़ों पर सजाये जायेंगे।
“पाणी आसा जिन्दगी री निशाणी , किजू लाई वाऊडी मुकाणी
चला आज हामा सभी ताकत रिहाणी, शुकी आई दी पाणी री वाऊडी
ग्रां पौहरी सौह मिलि जूली बचाणी”
~ खेम चन्द