अपने मुँह मियां मिट्ठू

अपने मुँह मियां मिट्ठू

तारीफ सभी को अच्छी लगती है, लेकिन खुद ही खुद की बड़ाई नहीं। जब अन्य लोग किसी के गुणों की बेझिझक प्रशंसा करते हैं तो सचमुच वह बेहतरीन इंसान होता है। नीरज त्यागी उन लोगों से कुछ कह रहे हैं जो अपने मुँह मियां मिट्ठू बनते हैं।

कर रहा हर वक्त अपनी वाहवाही,
कभी किसी की सुनता नही भाई।
संपन्न है जो, खड़ा है उनके पास,
कभी जरूरतमंद के काम आया क्या?

अपने ही मुँह बनता मिया मिट्ठू,
करता हर वक्त मुर्गे की तरह कुकडु कु,
कभी जरूरतमंद की जरूरत में किसी
के काम आया क्या?

सुबह से शाम तक यूँही बकवास करता है,
कभी इधर, कभी उधर समय पास करता है।
कभी किसी की दर्द भरी बाते सुनकर,
किसी के सर को काँधे से लगाया क्या?

पैर हमेशा रहते हैं जिसके जमीन पर,
पता नहीं क्यों हवा में उड़ता रहता है।
हमेशा दिखाता है कितना सहयोगी है,
जरूरत पर किसी के कभी ना काम आया।

~ नीरज त्यागी

हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है। https://www.facebook.com/hindibolindia/posts/389390078634837

Post Code: #SwaRachit139

Leave a Reply


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.