अर्धनिर्मित- आयुष्मान की कविता

अर्धनिर्मित- आयुष्मान की कविता

विश्व कविता दिवस के अवसर पर हिन्दी सिनेमा के मशहूर अभिनेता आयुष्मान खुराना ने एक स्वरचित कविता “अर्धनिर्मित” सोशल मीडिया पर साझा की थी। आयुष्मान कविताएं भी लिखते हैं और इनका अभिनय तो आप सब ने देखा ही है।

यहाँ कोई मित्र नहीं है, कोई आश्वस्त चरित्न नहीं है,
सब अर्धनिर्मित है।
अर्धनिर्मित इमारतें हैं, अर्धनिर्मित बच्चों कि शरारतें हैं,
अर्धनिर्मित ज़िन्दगी कि शर्ते हैं,
अर्धनिर्मित जीवन पाने के लिए लोग रोज़ यहाँ मरते हैं।

अर्धनिर्मित है यहाँ के प्रेमियों का प्यार,
अर्धनिर्मित है यहाँ मनुष्यों के जीवन के आधार
आज का दिन अर्धनिर्मित है,
न धूप है, न छाओं है,
मंजिल कि डगर से विपरीत चलते पाँव है।

अर्धनिर्मित सी सेहत है,
न कभी देखा निरोगी काया को, न कभी दिल से कहा अलविदा माया को,
हमारी अर्धनिर्मित सी कहानी है, अर्धनिर्मित हमारे युवाओं कि जवानी है।

हुम रोज़ एक अर्धनिर्मित शय्या पर लेटे हुए एक अर्धनिर्मित सा सपना देखते हैं,
उस सपने में हम अपनी अर्धनिर्मित आकांक्षाओं को आसमानों में फेंकते हैं।

आसमान को भी इन आकांक्षाओं को समेटकर अर्धनिर्मित होने का एहसास होता होगा,
क्योंकि यह आकांक्षाएं हमारी नहीं आसमान की है,
बिलकुल वैसे ही जैसे यह अर्धनिर्मित गाथा तुम्हारी है और आयुष्मान की है।

~ आयुष्मान खुराना
साभार: Twitter/@ayushmannk

Leave a Reply


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.