ममता की माटी से, स्नेह के जल से,
आदर के परिश्रम और आशीर्वाद के फल से,
प्रभु ने जो दीप जलाई,
वो है माई- वो है माई|
नो माह तक हमें खुद मे रखा,
ध्यान पूरे परिवार का रखा,
न जाने कई पीड़ा की मार है जिसने खाई,
वो है माई- वो है माई|
हमको ये संसार दिखाया,
अपने ह्रदय से हमें लगाया,
अमृत से बढ़कर जिसने हमें अपनी दूध पिलाई,
वो है माई -वो है माई|
रात मे हम बिस्तर गीली कर देते,
रो रोकर परेशान कर देते,
गीले से उठा कर हमको जिसने,
खुद गीले मे रात बिताई,
वो है माई- वो है माई|
हाथ पकड़ हमें चलना है सिखाती,
प्रथम ज्ञान जीवन का हमें बताती,
प्रेम, भाव, आदर, सम्मान,
की सबक जिसने है सिखाई,
वो है माई- वो है माई|
स्नेह से हमें भोजन है खिलाती,
लोरी गाकर हमको है सुलाती,
खुद भूखे रहकर है जिसने,
हम सब की भूख मिटाई,
वो है माई- वो है माई|
हर एक चीज़ समय पर है देती,
रात -दिन मेहनत है करती,
जिसकी मेहनत के बल पर हमनें,
ये सुखी जीवन है पाई,
वो है माई- वो है माई|
पढ़-लिखकर हम योग्य है बन जाते,
हर एक उपकार भूल हम है जाते,
जिसके तप ने हमको इस जग मे,
हमें हमारी पहचान है दिलाई,
वो है माई- वो है माई|
जब गृहस्थ मे शामिल हम हो जाते,
दो पैसे कमाने के योग्य बन जाते,
एक छोटी से छोटी बात पर हमनें,
जिसे बड़ी से बड़ी बात सुनाई,
वो है माई- वो है माई|
हर एक बात हमारी सहती,
दिल से कभी बुरा न कहती,
हर पल हँसकर दिल मे जिसने,
बड़ी सी पीड़ा की महल बनाई,
वो है माई- वो है माई|
बातें न हम किसी की सुनते,
बस मन की हम करते जाते,
जिसकी बातें न सुनकर हमनें,
जीवन भर ठोकर खाई,
वो है माई- वो है माई|
अपने जीवन मे मस्त हम हो जाते,
कोई माँ भी है ये हम है भूल जाते,
हमसे रहकर दूर है जिसने,
पल-पल है आँख भिंगाई,
वो है माई- वो है माई|
अंत समय जब उसकी है आती,
हर पल वो हमको रही बुलाती,
हमारी एक झलक की खातिर जिसने,
अपने अंत समय से करी लड़ाई,
वो है माई- वो है माई|
हर नारी की बस इच्छा यही,
परिवार रहे ये मेरा सुखी,
परिवार के मान-सम्मान की नैया,
जिसने है पार लगाई,
वो है माई- वो है माई|
कोई साधारण नारी ये नहीं,
इसकी ममता की सीमा ही नहीं,
जिसके चरणों मे हम सब ने,
मिलकर है शीश झुकाई,
वो है माई- वो है माई|
~ कलानाथ रजत साव