भाई-बहन का रिश्ता भी नोंक-झोंक से भरा होता है परन्तु इस रिश्ते में प्यार अपार होता है। कलमकार शेष नाथ त्रिपाठी बहनों के लिए लिखते हैं कि वे तो भाई की जान होती हैं।
बहनें जान होती है भाई की,
बहनों के सामने भले ही उसकी खूब हसी उड़ाए
लेकिन आखिर सच तो ये है कि भाई की जान होती है बहनें।
मां बाप से जो बात कहने की हिम्मत ना हों
उसमे वकील बनकर आगे आती है बहनें
खुद की जरूरतें मां बाप से ना कहकर भाई से कहती है
क्योंकि बहनें जान होती है भाई की।भाई दूर रहता है तो बीसो बार फोन करके परेशान करती है बहनें,
रोकने पर कहती है नहीं करेंगे जा तू कमीने
लेकिन फिर भी शाम तक आएगा फोन पूछेगी कुछ खाया कमीने
आखिर भाई की जान होती है बहनें।राखी के दिन जब तक भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध देती
तब तक कुछ खाती नहीं है और
अंत में लड़ झगड कर जेब से पैसा निकाल ही लेंगी
क्योंकि आखिर भाई की जान होती है बहनेंलड़ाई होने पर कहती है देखती हूं
शादी के बाद तेरा काम कौन करेगा तेरा ख्याल कौन रखेगा
भले ही कह दो उस समय कि जा जा, मै रख लूंगा
लेकिन सच तो ये है कि उसकी विदाई के समय आंसू रुकते नहीं है।
आखिर भाई की जान होती है बहनें।बहनें अपने भाई के साथ अपने पिता से भी ज्यादा सुरक्षित महसूस करती है
क्योंकि आखिर भाई की जान होती है बहनें।
भाई और बहन की कमी उससे समझो
जिसकी बहनें ना हो या जिसका भाई ना हो
क्योंकि आखिर भाई की जान होती है बहनें।~ शेष नाथ त्रिपाठी
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