नन्ही नन्ही बच्चियों में डर नहीं पनपना चाहिए किंतु कुछ असामाजिक तत्वों के कारण उन्हें डरना ही पड़ता है। कलमकार रोहिणी दूबे ने अपनी कलम से एक गुड़िया की भावनाएं वयक्त की हैं। हमें एक बेहतर और सुंदर समाज का निर्माण करना चाहिए जहाँ हर कोई सुरक्षित हो।
एक नन्ही सी गुड़िया
जो इस दुनिया में
आने से डरती है
ईश्वर से कहती है
मुझे नही है जाना
उस दुनिया में हमको
स्वतंत्र मन से
उड़ने नही देते
कुछ हैवान है वहाँ
जो वासनाओ
से भरे पड़े
उनको हम नन्ही सी गुड़िया
नही दिखाई देते
वो हैवानियत से हमको देखा करते
हे, ईश्वर मुझे नही है जाना
मेरे बिना इच्छा के
मेरे जिस्म को नोचा करतेमैं एक नन्हीं सी गुड़िया
क्या जानूं ये कामवासना
तड़प-तड़प कर मर जाती हूँ
सजा नही मिलती
उन हैवानों को वहाँ
रुपयों की लालच देकर
कानूनों से बच जाते हैं वो वहाँ
हे, ईश्वर मुझे नही है जाना
बार-बार ये किस्सा
दोहराता है वहाँ
एक नन्ही सी गुड़िया
जो इस दुनिया में
आने से डरती है।~ रोहिणी दूबे