मीठे बोल हर किसी का मन मोह लेते हैं। रज़ा इलाही ने इन पंक्तियों में उर्दू को हिंदी की बहन बताते हुए कहा है कि यह बहुत ही मीठी जुबान है। भाषा कोई भी हो लेकिन हमें सदैव मीठी बोली बोलनी चाहिए।
शहद शहद सी शीरीं ये ज़बाँ उर्दू
खुशबूओं से मोअत्तर ये ज़बाँ उर्दू
सुनिए, आइए, फ़रमाइए
गुफ़्त-ओ-शुनीद की हसीँ ये ज़बाँ उर्दूहुस्न व् इश्क़ की रूह-ओ-रवाँ
शाइस्तगी की है पहचान उर्दू
निगाहों से जब कोई बोलता है
समझ जाओ, आ गयी उसे ये ज़बाँ उर्दूहिंदी की ही तो ये एक बहन है
फिर क्यों मिटाते हो निशान-ए-उर्दू
ज़माने से रहा है वजूद इसका
संभल जाओ ऐ दुश्मनाँ ए उर्दू~ रजा इलाही
हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
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