जिंदगी की चाल

जिंदगी की चाल

कलमकार अजय प्रताप तिवारी “चंचल” की एक कविता पढ़िए जिसमें वे जीवन की रफ्तार को संबोधित करते हैं। समय के साथ-साथ जिंदगी भी बहुत तेजी से भागती है और इस दौरान हम अनेक चीजों को पूरा करना भूल जाते हैं।

जिंदगी आहिस्ता चल
लंबी दूरियां तय करनी है
सिर पर बालों से ज्यादा कर्ज भारी है
वह कर्ज चुकाना बाकी है
है पुराने दर्द जो दिल में
वो दर्द मिटाना बाकी है
वो रिश्ते जो भूल गए हैं
उन रिश्तो को जोड़ना बाकी है
अभी कुछ फर्ज निभाना बाकी है

कई ख्वाब अभी अधूरे हैं
कुछ काम पूर्ण करना जरूरी है
उलझी पहेली जीवन कि
अभी पूरा सुलझाना बाकी है

लोभ-भरी जिंदगी में
एक दिन सांस थम जाना है
फिर क्या ख्वाब क्या पाना
जिंदगी के हारे हम लोग
पर मन के जिद्दी बच्चों को
यह बात बताना बाकी है
जिंदगी आहिस्ता चल
अभी रिश्ते जोड़ना बाकी है।

~ अजय प्रताप तिवारी “चंचल”

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