तिनके का सहारा हो

डूबते हुए को यदि किसी तिनके का भी सहारा मिल जाता है तो वह खुद को संकट से उबर लेता है। हम सभी को भी एक दूसरे का सहारा बनकर हर एक संकट की घड़ी को भागा देना चाहिए। कलमकर अजय प्रसाद की यह कविता पढ़ें जो भाईचारे को कायम रखने की बात कहती है।

फ़ले फुले अमीर और गरीबों का भी गुजारा हो
डूबते हुए को कम से कम, तिनके का सहारा हो।

हर तरफ चैन-ओ-अमन और महफ़ूज हो वतन
या खुदा अपने मुल्क मे एसा भी तो नजारा हो।

ज़ुल्म मिटें, इल्म बढ़े, और हो हरकोई खुशहाल
मिल-जुलकर सब रहें यहाँ, दिल में भाईचारा हो।

रोटी, कपड़ा और मकान हो न्याय में सब समान
न कोई गरीब, न कोई बेबस, न कोई बेचारा हो।

चाहे हो कोई दिन, वार, पर्व या कोई भी त्योहार
रौशन हर मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारा हो।

~ अजय प्रसाद

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