शिक्षक दिवस के अवसर पर सभी गुरुओं को सादर नमन। हमारा जीवन को एक नई दिशा देकर सुसंस्कृत करने का महत्त्वपूर्ण कार्य शिक्षक ही करते हैं। हिन्दी कलमकारों ने अपनी कुछ पंक्तियाँ शिक्षकों को समर्पित की हैं।
शिक्षक दिवस
शिक्षक है ज्ञान का सागर
बांटते सबको ज्ञान बराबर
आदर्शों की मिसाल बनकर
सर्वगुण संपन्न बनाता शिक्षक
सदाबहार फूल- सा खिलकर
चहुंओर महकाता शिक्षक
संचित ज्ञान का भंडार देकर
नित नई ऊंचाई तक पहुंचाता शिक्षक
प्रकाश पुंज का आधार बनकर
सच्ची राह दिखता शिक्षक
सद्व्यवहार सदाचार सिखाकर
कर्तव्य आप निभाता शिक्षक
मानवता का पाठ पढ़ाकर
अच्छा इंसान बनाता शिक्षक
अज्ञानता का अंधकार मिटाकर
ज्ञान का प्रकाश फैलाता शिक्षक
कभी डांटकर कभी प्यार से
नन्ही आँखों में ऊँचे सपने दिखाता शिक्षक
प्रेम सरिता की धारा बनकर
जीवन पथ पर चलाता शिक्षक
संस्कृत के संस्कार बनकर
भाषा का ज्ञान कराता शिक्षक
दर्शन का दृष्टा बनकर
परमात्मा से मिलन कराता शिक्षक
मन की पीड़ा हरकर
दिव्य सरस जीवन बनाता शिक्षक
सभी शिक्षकों को देने सम्मान
पांच सितंबर दिवस है महान।
शिक्षक
शिखर तक ले जाता है जो,
नित नूतन ज्ञान सिखाता जो,
क्षमा करें हमारी गलतियों को,
हमारी कमियाँ बताता जो।
कुम्हार की भाँति जो
नूतन नवीन रूप है गढ़ता
बिखरे मोतियों से शिष्यों को
एक माला में पिरोता जो।
सबके लिए सामान्य भाव रख,
ज्ञान की ज्योति जगाता वो,
दूर कर हमारी बुराइयों को
अच्छाई का गुण दे जाता वो।
आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाकर,
आत्म विश्वासी बनाता जो।
कर सकें हम मुश्किलों का सामना,
ऐसे ज्ञान दे जाता वो।
अनुभव की कसौटी पर कसकर,
हर प्रश्न हल करवाता जो,
साहस धर्म दया भाव को
हमारे अंदर जगाता वो।
इस तरह शिक्षक शिखर तक पहुँचाकर,
अपना कर्तव्य निभाता वो।
शिक्षक
हमारे जीवन की वास्तविक शिक्षिका
हम सब की मां होती है.
हमारे माता-पिता हीं
हमें आदर का भाव देने वाले प्रथम शिक्षक होते हैं.
शिक्षक का महत्व जन्मदाता से कहीं अधिक होता है.
क्योंकि ज्ञान हीं हमें जीने योग्य जीवन देता है
हम सभी की सफलता की नींव में
एक शिक्षक की भूमिका अवश्य होती है.
वो शिक्षक ही है जो हमारे जीवन को
प्रकाश देने के लिए स्वयं जलता है.
हमें शिक्षित करने के लिए आपने जो प्रयत्न किए हैं
हम उसके सदा आभारी रहेंगे.
आप सभी शिक्षकों को सादर नमन करती हूं
जिनकी वजह से मुझे कुछ विशेष सीखने का अवसर मिला.
सन्मार्ग दिखाने वाले
ज्ञान का दीपक जलाकर,
शिक्षा को दिए उजाले।
वे शिक्षक ही हैं,
सन्मार्ग दिखाने वाले।
यह भारत की भूमि है,
गुरुओं से समृद्ध।
जिनके सानिध्य से बने,
विवेकानंद और बुद्ध।
शिक्षक शिक्षा का आधार है,
शिक्षक ज्ञान का भंडार है।
लक्ष्य तक पहुंचने का,
गुरु ही प्रथम द्वार है।
गुरु जग के आदर्श हैं,
उनसे संस्कृति का सम्मान।
महान विभूतियों के मूलाधार,
गुरु से यह जगत महान।
गुरु महिमा के दोहे
गुरु चरणन की धुलि, सदा रखो सिरमौर
आफत बिपत नाहिं कभी, आवैगी तेरी ओर।
गुरु ज्ञान की होवें गंगा, गोता लगा हो चंगा
बिन ज्ञान वस्त्रधारी भी, दिखता अक्सर नंगा।
गुरु की वाणी अमृत, वचन उनके अनमोल
स्मरण रखो सदा उन्हें, जग जीतो ऐसे बोल।
गुरु की तुलना ना करो, उन जैसा नहिं कोय
आखर ज्ञान भी लिया जो, आजीवन ॠणी होय।
गुरु ज्ञान की पोटली, नवकर सीखो पाठ
शब्द ही उनके मंत्र हैं, रटौ उन्हें दिन रात।
गुरु ऊंचा भगवान सै, इनका कद अनबूझ
सम्मुख सदा विनम्र रहो, कर जोरि प्रश्न पूछ।
गुरु पुकारें झट दौड़िए, सब कारज को छोड़
आज्ञा पूरी करौ उनकी, प्राणन की नहिं सोंच।
गुरु से पाओ ज्ञान रस, होवैं रस की खान
कठिन अभ्यास से ना डरो, लगा दो अपने प्राण।
अनुमति बिन नहिं आओ, बिन आज्ञा न जाओ
आतै जातै पांव छुओ, जीवन धन्य बनाओ।
गुरु शिष्य की परंपरा, नष्ट कभी ना होई
पीढ़ी दर पीढ़ी चलै, मनुज सदा इसे ढ़ोई।
शिक्षक
शिक्षा का संचार है करते
ज्ञान -ध्यान से अवगत करवाते
जो जीवन मे हमें सही राह दिखाते
वे हमारे शिक्षक कहलाते |
प्रभु से पहले पूजे है जाते
उनका हमें है ज्ञान कराते
जो नास्तिक को आस्तिक है बनाते
वे हमारे शिक्षक कहलाते।
ज्ञान के ये भण्डार है होते
सही गलत की समझ सिखाते
जो पशु को भी मानव है बनाते
वे हमारे शिक्षक कहलाते।
ज्ञान अभाव हमें पशु बनाते
जीवन मे अहंकार मचाते
जो अज्ञानता के अंधकार को है मिटाते
वे हमारे शिक्षक कहलाते।
सबको एक समान है समझते
मानवता का पाठ पढ़ाते
जो सबके लिए एक समान है होते
वे हमारे शिक्षक कहलाते।
गुरु: शिष्य की पहचान
गुरु है ईश्वर समान
ले न पाया उनका कोई स्थान,
शिष्यों का करते वो कल्याण
सही मार्ग पर चलने का देते ज्ञान
गुरु वह है, जो न करता भेद
छोटा-बड़ा सबको रखता समेट
गुरु की महिमा अपरम्पार है,
आशीष हो गुरु का हर मुश्किल से बेड़ा पार है
गुरु संग पवन सा रिश्ता है
अंधकार को रौशन कर जाता है
अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाता है
वह गुरु ही है, जो अभिमन्यु बनना सिखाता है
गुरु जगाता आत्मविश्वास को,
जो न समझता उनके बात को
आजीवन कोसता आपने भाग्य को,
कुछ न आए हाथ केवल पछतावे को
गुरु ही माता,
गुरु ही पिता है
हर शिष्य सितारों की तरह चमकता रहें,
ऐसे उज्जवल भविष्य
की वह कामना करता है
गुरु दर्पण है,
कमियों को दूर कर
अच्छाईयों को निखारता है
गुरु की फटकार जो सह जाता है
सरस्वती माँ का साथ वह पा जाता है
गुरु है, तो शिष्य की पहचान है
गुरु है, तो शिष्य की पहचान है
गुरु की महिमा
शिक्षक का जो सम्मान न करें, वह भोला नादान है
विद्या से पतित वह, गिरा हुआ इंसान है
देखो भाई इस दुनिया जगत में गुरु की महिमा का बहुत बखान है
दुनिया मे शिक्षक के रूप में दूसरा भगवान है
अतीत,वर्तमान और भविष्य को दिखलाने वाला वह गुरु महान है
शिक्षक का जो सम्मान न करें, वह भोला नादान है
बिद्या से पतित वह, गिरा हुआ इंसान है।
माता-पिता के रूप में वह तो प्यार और स्नेह का खान है
बचपन की चिंगारी को युवाओं में प्रकट करना ही उसका काम है
राह सही दिखलाकर मंजिल पर पहुँचाना ही उसकी असली पहचान है
साक्षात परब्रह्म का वह तो दूसरा अवतार है।
शिक्षक का जो सम्मान न करें, वह भोला नादान है
बिद्या से पतित वह, गिरा हुआ इंसान है।
गुरु
गुरु ही सिखाते जीवन का पाठ
देते हैं हमें हार ज्ञान की गांठ.
विद्या का वो हमें देते दान,
ताकि ना रहे हम अज्ञान.
काम आती सदा उनकी शिक्षा,
चाहें हो कोई भीं परीक्षा.
लेकर हमेशा हमें जाते आगे,
बुरी बातों को वो दूर भगाते.
कभी छड़ी से कभी प्यार से,
हमारा वो जीवन सुधारते.
सदा रखना उनका मान
देना उन्हें बहुत सम्मान
गुरु
सत्य का दीपक बन मार्ग फिर से
प्रज्वलित कर गया
गुरु फिर से अपना
फर्ज निभा गया।
रात को भी दिन
बना कर चल दिया
गुरु फिर से मन में
उजाला भर गया।
गिरते हुए को उठा
कर चल दिया
गुरु फिर से मरहम
लगा कर चल दिया।
अज्ञानी मन में ज्ञान का
प्रकाश भर दिया
गुरू फिर से अपना कर्तव्य
पूरा कर गया।
हारी बाजी को फिर से
जीता के चल दिया
गुरु फिर से मुस्कुरा के चल दिया।
गुरु ने अश्रु को ताकत
बना दिया
गुरू फिर से हमको आशीष
देकर चल दिया।