जिंदगी में कभी कुछ ऐसा काम कर जाऊँ
कुछ पल अपना किसी के नाम कर जाऊँ
दुंधियारी नजरों से तकते जो चल रहा है
उसके मुश्किल राहों में प्रकाश कर जाऊँ
टूटी उम्मीदों के संग जो निराश हो बैठा है
दिलों में उसके उम्मीद की आस भर जाऊँ
आसमान को तकते नयन थक गये जिसके
बन मेघ जीवन में उसके बरसात कर जाऊँ
इस धरा पर यदि कोई प्यासा चकोर बैठा है
स्वाति नक्षत्र बनकर मैं उसकी प्यास बुझाऊँ
मेरी किसी बातों से यदि कोई नाराज बैठा है
गले लगा कर उसको मैं प्रेम का दीप जलाऊँ
वंचित शोषित अगर कोई कभी मुझे पुकारे
कर मदद उसका मैं जीवन सफल बनाऊँ
~ अमित मिश्र