सर उठाकर चाहे चलने लगे है लोग

सर उठाकर चाहे चलने लगे है लोग

सर उठाकर चाहे चलने लगे है लोग
सच को अपने आप में छलने लगे है लोग

किसी को सिर काटने से डर नहीं लगता
अपने सर को देख क्यों डरने लगे है लोग

कैसे करे भरोसा हम सर को देखकर
सर के ऊपर और सर रखने लगे है लोग

चांद सी सूरत पुरानी बात हो गई
पढ़कर परहेज चांद से करने लगे हैं

ना आचरण, न नम्रता और शीलता रही
राहुल अहंकार में मरने लगे है लोग

~ राहुल प्रजापति

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