फेसबुक का दौर

फेसबुक का दौर

फेसबुक आजकल लोगों की चौपाल बन गया है। यहां पर कई लोग अनेक अप्रिय गतिविधियों को भी अंजाम देने में नहीं कतराते। कलमकार मनकेश्वर भट्ट ने इस कविता में कुछ प्रसंगों का उल्लेख किया है।

फेसबुक का दौर चल रहा है
सुबह, शाम, दोपहर होने का
कैसे मॉर्निंग, आफ्टरनून, एंवनिग
करने का खेल हो रहा है

नमस्कार, प्रणाम से देखों
कैसे लोग बोर हो रहे है
सब सबसे मौन होकर
देखों फेसबुक पर शौर हो रहे है

एक लड़की के पीछे देखों
कितने आदमखोर सुबह शाम हो रहे है
दूसरे की बहन पर देखों
कैसे अभद्र भाषा की टिप्पणी छोड़ रहे है।

रात दिन ऑनलाइन होकर देखों
कैसे औरत की व्यवस्ता को तौल रहे है
मित्र बने नहीं देखों
कितने कॉल मैसेज हो रहे है।

उफ देखों ये कैसा घिनौना खेल हो रहा है
उधर देखों लड़का लड़की की आईडी से
कैसे मिलन जोड़ हो रहे है
ये कैसा आधुनिकता का भोर हो रहा है।

~ मनकेश्वर महाराज भट्ट

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