भारत किसानों का देश है जहाँ कृषि को प्रधानता दी जाती है। कलमकार ऋषभ तिवारी ने अपनी कविता में उन्ही किसानों की कई छोटी-बड़ी समस्याओं का जिक्र किया है। हम सभी को अन्नदाता के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए और उन्हें सम्मान के साथ यथासंभव सहयोग भी प्रदान करना होगा।
पता नहीं वो कौन जहान है
रूह लहूलुहान ज़िस्म रेगिस्तान हैसूखे दरिया पर उमड़ते घुमड़ते बादल
ज़िस्म रगड़ता शायद वो किसान हैभूखे गुज़रे एक दौर हुआ प्यारी को
उसकी आँखों के आगे पूरा मसान हैकतरा एक नहीं तन में दिखता उसके
इंसानियत को घूरता देखे रक्तदान हैचंद रोज़ बीते फसल गौवंश खा गये
घड़ी घड़ी चिढ़ाता उसको मचान हैरोटी का ख्वाब देखे बरसों गुजर गए
पर कपड़े,आखिर उसकी बेटी जवान हैबारह हजार का शौचालय भी ना आया
दो हज़ार का तो सरपंच का पीकदान हैएक रस्सी फंसा डाली उसने डाली पर
नेता कहते जय जवान जय किसान हैनाक रगड़ बैठी उसकी बेटी कोठे पर
विश्वगुरु सा तन बैठा अपना हिदुस्तान है~ ऋषभ तिवारी ‘ऋषि’
हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
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