जस्बात

जस्बात

हमारे मन में अनेक भावनाओं ओत-प्रोत होती रहती हैं, सभी को हम जाहिर नहीं कर सकते हैं। प्यार तो एक भावना है- कलमकार दीपमाला पांडेय ने कुछ जज्बात इस कविता में लिखकर जाहिर किए हैं।

कौन करता है तुझको भुला रखा है
मैंने दिल की किताब में
कुछ पन्नों के बीच
आज भी उस सूखे गुलाब के रूप में
तुम्हारी यादों को सजाए रखा है…
तुम देख ना पाओगे
कितनी भी कोशिश कर लो
देखोगे तो सिर्फ और सिर्फ
उन सूखे गुलाब की पंखुड़ियों को
क्योंकि तुमने मुझे भुला रखा है….
महसूस ना कर पाओगे उस खुशबू को
जिसे जज्बात के इत्र में भिगोकर मैंने
आज भी संभाल रखा है…
तुम्हारे जाने के बाद
जिंदगी के हर तजुर्बे से
सीखने का सिलसिला
मैंने बनाए रखा है
खामोश निगाहों में
जो सपने सजाए थे कभी
आज भी संभाल रखा है….
दर्द की कंदराओं से
बह गया विषाद लेकिन
दिल की जमीन पर
नमी बनाए रखा है…
बातें कुछ रह गई अधूरी
संग गुजारी शामें भी रह गई अधूरी
एक आस है हो जाएंगी पूरी
शायद तुम लौट आओगे मेरे पास
इस उम्मीद से मैंने
निस्वार्थ प्रेम का दिया जलाए रखा है…
अब तो सांसे भी बोझल हो गई हैं
खुद को अनजान बनाए रखा है
खुश हो जाती हूं इस बात से
मैंने आज भी झूठी उम्मीद से
खुद को बहला रखा…

~ दीपमाला पांडेय

Leave a Reply


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.